विषैला वामपंथ Vishaila Vampanth
डॉ राजीव ने सही लिखा है कि ‘विषैला वामपंथ’ कहीं से भी विद्वत्ता से भरा नहीं है लिहाजा, आम आदमी को वामपंथ और वामपंथी कया होते हैं, यह बिलकुल आम आदमी की बोल चाल की भाषा में ही समझाया हे उन्होंने लेकिन फिर भी, लेखक की मेहनत दिख जाती है, जिस तरह की जानकारी जुटाकर उन्होंने इतने सरल तरीके से पेश किया है, आम आदमी शायद न समझे लेकिन पत्रकारिता में जिसके बाल सफेद हुए हैं, ऐसे मेरे जेसे अनुभवी पत्रकार के लिए तो यह सरल सी भाषा में लिखी गयी पुस्तक एक दस्तावेज से कम नहीं।
गौरक्षा संग्राम : Gauraksha Sangram
गौरक्षा संग्राम : Gauraksha Sangram
गाय हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है | गाय माता का स्वरुप है जो अपने पुत्रों को अपना सब कुछ दे-देती है | लेकिन आज धन लोलुप हिन्दू संस्कृति के शत्रु गौमाता एवं गोवंश के शत्रु बन बैठे हैं | पूरा देश इन शत्रुओं के विरूद्ध गौमाता की रक्षा के लिए खड़ा है | इस संग्राम पर प्रकाश डालती यह पुस्तक है |
सेवा कार्य क्यों और कैसे Seva karya kyo aur kaise hi
सेवा एक भाव है जो अन्तरात्मा से प्रकट होकर दूसरों के कष्टों का निवारण करता है। …
ख़िलाफ़त आंदोलन Khilafat andolan
ख़िलाफ़त आंदोलन (1919-1924) भारत के मुस्लिमों के बीच ओटोमन तुर्की साम्राज्य के पतन और प्रथम विश्व …
मैक्समूलर द्वारा वेदो का विकृतिकरण Maxmuller dwara vedo ka vikruti
अंग्रेज शासक लगातार यही प्रचार करते रहे कि मैक्समूलर तो वेदों का महान विद्वान और हिन्दू …
महान भारतीय वैज्ञानिक Mahan Bharatiya Vygnanik
महान भारतीय वैज्ञानिक Mahan Bharatiya Vygnanik
जहाँ एक ओर ऋषिमुनियों व तपस्वियों ने ज्ञान व अध्यात्म की ज्योति प्रज्जवलित की, वहीं इस …
पर्यावरण प्रेमी हिंदू दृष्टि paryavaran premi hindu drishti
नष्ट होते पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण को लेकर आज संपूर्ण संसार सर्वाधिक चिन्तित है। स्वाभाविक रीति …
स्वराज्य@75-swarajya75
भारत के स्वतंत्रता संग्राम का विश्लेषण करते हुए, इस ‘स्व’ को ही उस राष्ट्रीय आंदोलन की …
छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन संदेश-chhatrapthi shivaji maharaj jeevan
भगवान राम के जीवन का कारण ‘रावण संहार’ रहा होगा। भगवान कृष्ण के जीवन का कारण …
श्री गुरुजी दृष्टि और दर्शन Sri Guruji dristi aur darshan
श्री गुरुजी दृष्टि और दर्शन Sri Guruji dristi aur darshan
पू. श्री गुरुजी के ये विचार मात्र शब्द नहीं है। यह उनके जीवन की दृष्टि है, वह शाश्वत, सनातन दर्शन है जिसको उन्होंने अपनी जीवन तपस्या से विश्वभर में प्रवर्तित व परावर्तित किया। अतएव इसका प्रत्येक अक्षर मनुष्य के जीवन में ध्येय दृष्टि, दिव्य जीवन की प्रेरणा व स्फूर्ति भरने का अतीव सामर्थ्य रखता है।
विकास का नया प्रतिमान सुमंगलम Vikas ka naya prathimaan sumangalam
‘सुमंगलम्’ से तात्पर्य है मुख्यतः स्वसाधनों से देश के समस्त लोगों के जीवन-स्तर को दीर्घकाल में …
वैदिक राष्ट्र रिचाये Vaidik rashtra richaye
पाश्चात्य विद्वान् प्रचार करते आए हैं कि प्राचीन आर्य राष्ट्रीयता की अवधारणा से अवगत न थे, …
पुण्यभूमि भारत Punyabhumi Bharat
प्रत्येक भारतीय को यह देश प्राणों से प्यारा है। क्योंकि इसका कण-कण पवित्र है। इस भूमि …
सिख गुरु गाथा Sikh Guru Gaatha
सिख गुरु गाथा Sikh Guru Gaatha
प्रस्तुत कृति ‘सिख गुरु गाथा’ सिख गुरुओं के त्याग तपस्यामय, बलिदानी, आदर्श व प्रेरक जीवन पर प्रकाश डालने के साथ ही उनका संपूर्ण जीवन-वृत्त प्रस्तुत करती है।
चीन की चुनौती और स्वदेशी Cheenen ki chunauti aur swadeshi
पुरातन काल से भारत स्वदेशी के आधार पर ही स्वावलम्बी और श्रेष्ठ राष्ट्र बना जिसने सम्पूर्ण …
भारत की संत परंपरा और सामाजिक समरसता Bharat Ki Sant Parampara aur Samajik Samarasta
Re-publishing in progress. Book is expected at around March 15th, 2023
भारतीय संस्कृति का विश्व संचार Bharatiya Sanskriti ka vishwa sanchaar
भारतीय संस्कृति का विश्व संचार Bharatiya Sanskriti ka vishwa sanchaar
भारतवर्ष के आक्रान्ताओं की कलंक कथाएं Bharatvarsh Ke Aakrantaon Ki Kalank Kathayen
भारतवर्ष के आक्रान्ताओं की कलंक कथाएं Bharatvarsh Ke Aakrantaon Ki Kalank Kathayen
सिकंदर और उसके बाद 712 ई. से लेकर 1947 तक भारतवर्ष के लुठेरों की काली करतूतों के कारण भारत आअँधेरे के गिरफ्त में छटठपटाता रहा, लुठता रहा। इन्होंने भरतीय संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं को नष्ट किया, हमारी शिक्षा व्यवस्था, उद्योग, व्यापार, कलाओं और जीवनमूल्यों पर निरंतर प्रहार करके भारतवर्ष की समृद्धि और सामर्थ्य को खंडित किया | यह पुस्तक इन क्रूरों और आततायियों की नृशंसता और पाशविकता की झलक मात्र देती है, जो हर भारतीय को भीतर तक उद्वेलित कर देगी कि हमारे पूर्वजों ने इन नरपिशाचों के हाथों कितने दुःख और कष्ट सहे.
हिन्दू धर्म के 16 संस्कार Hindu Dharma ke 16 samskar
हिन्दू धर्म के 16 संस्कार Hindu Dharma ke 16 samskar
संस्कार’ या ‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है-मनुष्य का वह कर्म, जो …
स्वामी विवेकानंद : जीवन और संदेश Swami Vivekanand – Jeewan aur Sandesh
स्वामी विवेकानंद : जीवन और संदेश सुरुचि प्रकाशन ; Suruchi prakashan ; Pages : 48 ; …
राष्ट्रीय नवोत्थान Rashtriya Navothan
राष्ट्रीय नवोत्थान – स्वामी विवेकानंद का दिव्य दर्शन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की लक्ष्य साधना
महायोद्धा की महागाथा Mahayoddha Ki Mahagatha
महायोद्धा की महागाथा Mahayoddha Ki Mahagatha
जनरल बिपिन रावत का विराट व्यक्तित्व, दृढ़ चरित्र और बेहतरीन कार्य कौशल, अतिसामान्य सरल व्यवहार, सबकुछ इतना स्वाभाविक और गैर-बनावटीपन वाला तथा प्रभावोत्पादक था कि जो उनसे एक बार भी मिलता, सहज ही प्रभावित हो जाता। उनकी सैन्य रणनीतियाँ, कार्य-तत्परता, अध्ययन, विश्लेषण, बेखौफ, बेलौस, बेबाक बयानगी, उनकी कर्मशीलता, उनकी मानवीय न्यायप्रियता तथा भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस किसी भी निष्पक्ष और निरपेक्ष को उनके पक्ष में कर देता था।
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध Hyderabad nishastra pratirodh
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध Hyderabad nishastra pratirodh
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध : आर एस एस , आर्य समाज, हिन्दू महासभा का योगदान
सन् 1938 में स्थिति और भी भयावह हो गई। हिंदुओं के लिए शिकायतें दर्ज कराने के मार्ग भी बंद कर दिए गए। अन्यायी निजाम राजशाही के विरुद्ध निःशस्त्र प्रतिरोध करने के अतिरिक्त हिंदुओं के समक्ष कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था।
इस चुनौती का सामना करने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक , आर्य समाज, हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने अप्रतिम साहस का परिचय दिया । परंतु इस संघर्ष के विषय में बहुत कम समाचार मुद्रित हुई है। डॉ श्रीरंग गोडबोले ने अभिलेखागारों तथा अन्य सामग्री के आधार पर इस शोध पुस्तक की रचना की है ।
आर्यों का आदिदेश भारत Aryon ka aadidesh Bharat
आर्यों का आदिदेश भारत Aryon ka aadidesh Bharat
इस पुस्तक में आर्य समस्या के लगभग सभी संबंधित पहलुओं को शामिल किया गया है जैसे कि भारत पर आर्यों का आक्रमण, और उसका विकल्प, भारत में आर्यों का प्रवास। यह पुस्तक बताती है कि ये सभी सिद्धांत मौलिक रूप से गलत हैं। इसके अनुसार आर्य भारत के मूल निवासी थे। वास्तव में, ऋग्वैदिक लोग 2000 ईसा पूर्व के आसपास पष्चिम एशिया में चले गए जहां तुर्की में बोगाज़कोई में मिट्टी की तख्तियां मिली हैं। इन तख्तियों में हित्तियों और मित्तनी के बीच एक संधि दर्ज है जिसमें इंद्र, वरुण, आदि जैसे देवताओं को गवाह के रूप में वर्णित किया गया है।एक उत्कृश्ट मानचित्र के साथ, प्रो लाल ने प्रदर्शित किया कि ऋग्वेद और हड़प्पा सभ्यता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।