Description
भारत के स्वतंत्रता संग्राम का विश्लेषण करते हुए, इस ‘स्व’ को ही उस राष्ट्रीय आंदोलन की उत्प्रेरक शक्ति के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, जिसने उन विदेशी आक्रांताओं का सामना करने के लिए असाधारण नेतृत्व के साथ ही साथ जनसामान्य को भी प्रेरित किया. जो कि यहाँ की स्थानीय संस्कृति और आस्थाओं को कुचलने का प्रयास कर रहा था। विदेशी ताकतों के विरुद्ध कश्मीर से कन्याकुमारी तक महान पुरूषों और वीरांगनाओं द्वारा किए जाने वाले संघर्षो के सूक्ष्म अध्ययन से यह ध्यान में आता है कि केवल कुछ संकीर्ण या तुच्छ कारणों से प्रेरित होकर नहीं अपितु स्थानीय जीवन पद्धति तथा मूल्यों को बचाए रखने के लिए वे इस संघर्ष के लिए प्रस्तुत हुए।
यह पुस्तक देश के विभिन्न भागों में उठ खड़े हुए ऐसे ही कुछ संघर्षों एवं आंदोलनों को आपके समक्ष रखने का एक विनम्र प्रयास है।
Publisher Suruchi
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