हिन्दवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी-Hindvi Swaraj Ke Sansthapak Chhatrapati Shivaji
हिन्दवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी-Hindvi Swaraj Ke Sansthapak Chhatrapati Shivaji
Publisher : Suruchi ; Paperback ; Pages : 188 ; Author : Om Prakash Singh
भारत विभाजन के कुछ अज्ञात तथ्य – Bharat Vibhajan Ke Kuch Agyath Tathya
विभाजन पर प्रकाशित अब तक की सभी पुस्तकों से यह पुस्तक अलग प्रकार की है। बाकी सभी पुस्तकें गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं। किंतु यह पुस्तक आम व्यक्तियों, परिवारों, गलियों, मुहल्लों, बाजारों, गांवों व नगरों में घूमती है और इस कारण जगह-जगह घटी उन दिनों की घटनाओं का जमीनी स्तर पर वर्णन करती है। यह वर्णन उन लोगों के द्वारा है, जिन्होंने यह सब स्वयं देखा और भोगा था।
छत्रपति शिवाजी महाराज न होते तो Chhatrapati Shivaji Maharaj na hote tho
वरिष्ठ ऐतिहासिक शोधकर्ता श्री. यह गजानन भास्कर मेहेंदले द्वारा लिखित एक बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक है जो भारत के मध्यकालीन इतिहास के बारे में कई मान्यताओं को चुनौती देती है।
सैफरन स्वोर्ड्स – Saffron Swords
सैफरन स्वोर्ड्स – Saffron Swords
इन बावन कथाओं में भारत के सभी हिस्सों-पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण; सभी जातियों; स्त्री, पुरुष; 12 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष से ऊपर के उन योद्धाओं की कहानियाँ हैं, जिन्होंने आक्रान्ताओं को कई बार नाकों-चने चबवाए; और जब समय आया तो अपने प्राणों की आहुति देकर देश के लिए न्योछावर हो गए।
छह स्वर्णिम पृष्ठ 6 Swarnim prasht
छह स्वर्णिम पृष्ठ 6 Swarnim prasht
प्रस्तुत ग्रंथ ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’ में हिंदू राष्ट्र के इतिहास का प्रथम स्वर्णिम पृष्ठ है यवन-विजेता सम्राट् चंद्रगुप्त की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ, यवनांतक सम्राट् पुष्यमित्र की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ भारतीय इतिहास का द्वितीय स्वर्णिम पृष्ठ, सम्राट् विक्रमादित्य की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ इतिहास का तृतीय स्वर्णिम पृष्ठ है। हूणांतक राजा यशोधर्मा के पराक्रम से उद्दीप्त पृष्ठ इतिहास का चतुर्थ स्वर्णिम पृष्ठ, मुसलिम शासकों के साथ निरंतर चलते संघर्ष और उसमें मराठों द्वारा मुसलिम सत्ता के अंत को हिंदू इतिहास का प स्वर्णिम पृष्ठ कह सकते हैं और अंतिम स्वर्णिम पृष्ठ है अंग्रेजी सत्ता को उखाड़कर स्वातंत्र्य प्राप्त करना। विश्वास है, क्रांतिवीर सावरकर के पूर्व ग्रंथों की भाँति इस ग्रंथ का भी भरपूर स्वागत होगा।
प्रतीक्षा शिव की: ज्ञान वापी काशी के सत्य का उद्घाटन Prateeksha Shiv Ki
प्रतीक्षा शिव की: ज्ञान वापी काशी के सत्य का उद्घाटन Prateeksha Shiv Ki
दुनिया में कुछ ही ऐसी जगहें हैं जो इतनी सहजता से इतिहास का भार वहन कर …
मेवाड़ एवं मराठाओं की सहस्र वर्षों की शौर्यगाथा Mewar evam Marathon ki shouryagatha
मेवाड़ एवं मराठाओं की सहस्र वर्षों की शौर्यगाथा Mewar evam Marathon ki shouryagatha
मेवाड़ एवं मराठा स्वराज्य की गौरवपूर्ण ऐतिहासिक यात्रा की ओर अग्रसर होते हैं, ताकि हम अपने महापुरुषों द्वारा किए गए पराक्रम का स्मरण कर अपने अस्तित्व को पहचानें और भारत को पुनः विश्वगुरुबनाएँ ।
भोगा हुआ सच – (भारत में इस्लाम-2) Bhoga Hua Sach
भोगा हुआ सच – (भारत में इस्लाम-2) Bhoga Hua Sach
भारत में इस्लामी इतिहास और दुनिया भर में इस्लाम, एक आम दिलचस्पी के दायरे में आ गया है। लोग सच जानना चाहते हैं। वह सच जो छिपाया गया है। यकीन न हो तो यूट्यूब पर एक्स मुस्लिम साहिल, समीर, सचवाला, अलमोसो फ्री, डॉ. फौजिया रऊफ, अमीना सरदार, हारिस सुल्तान, गालिब कमाल, महलीज सरकारी, सना खान, यास्मीन, जफर हेरेटिक, कोहराम, सलीम अहमद नास्तिक को टटोल लीजिए।
हिंदुओं का हश्र – (भारत में इस्लाम-1) Hinduon ka hashr – 1
हिंदुओं का हश्र – (भारत में इस्लाम-1) Hinduon ka hashr – 1
लाहौर और दिल्ली पर तुर्क मुसलमानों के कब्जे के बाद बाकी भारत ने सदियों तक क्या कुछ भोगा-भुगता है, इसके बारे में इतिहास की किताबों में परदा डालकर रखा गया। “भारत में इस्लाम” की इस रोंगटे खड़े कर देने वाली श्रृंखला में वही सत्य उजागर किया गया है, जो बीते आठ सौ सालों के दौरान समकालीन मुस्लिम लेखकों ने दस्तावेजों में दर्ज किया । इस भाग में आप देखेंगे कि किस तरह दिल्ली पर काबिज होते ही तुर्क मुसलमानों ने हिंदुओं के सफाए के इरादे जाहिर किए थे।
सरस्वती सभ्यता – Saraswati Sabhyata
सरस्वती सभ्यता – Saraswati Sabhyata
मेजर जनरल जीडी बख्शी द्वारा लिखित ‘सरस्वती सभ्यताः प्राचीन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन’ नामक …
मोपला विद्रोह,१९२१ – Moplah Vidroh 1921
मोपला विद्रोह,१९२१ – Moplah Vidroh 1921
मोपला विद्रोह मोपला उपद्रवियों द्वारा हिंदुओं के ऊपर किये गये अत्याचारों की दास्तान है। वीभत्सता, संगठित …
अमृत काल में स्वामी विवेकानन्द की प्रासंगिकता-Amrit Kaal Me Swami Vivekanandki Prasangikita
अमृत काल में स्वामी विवेकानन्द की प्रासंगिकता-Amrit Kaal Me Swami Vivekanandki Prasangikita
अपने उदात्त चरित्र, विलक्षण ज्ञान और बहुमुखी प्रतिभा से सम्पूर्ण विश्व को आलोकित करनेवाले स्वामी विवेकानन्द …
भारत की शैक्षिक धरोहर Bharat Ki Shaikshik Dharohar
भारत की शैक्षिक धरोहर Bharat Ki Shaikshik Dharohar
यह पुस्तक भारत की महान शैक्षिक विरासत को कालक्रमानुसार दर्शाने की आवश्यकता को पूरा करती है। यह पुस्तक उस अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का वर्णन करती है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि गुरुओं और आचार्यों द्वारा पीढ़ियों तक छात्रों को ज्ञानार्जन का सौभाग्य मिलता रहे।
मोपला कांड अर्थात मुझे उससे क्या moplah kand arth
मोपला कांड अर्थात मुझे उससे क्या moplah kand arth
स्वातंत्र्यवीर सावरकर की यह पुस्तक मोपलाओं द्वारा किए गए हिंदुओं के उस नृशंस एवं जघन्य नरसंहार का सजीव चित्रण है, जो हर हिंदू के मन और आत्मा को झकझोरकर रख देगी। अगर अभी भी हिंदू समाज नहीं चेता तो 1921 की वीभत्स स्थिति की पुनरावृत्ति हो सकती है।
इंडिया अर्थात भारत India Arthat Bharat
इंडिया अर्थात भारत India Arthat Bharat
ये पुस्तक “India, That Is Bharat” का हिन्दू अनुवाद है ।
विभाजन : टीस और सीख Vibhajan tees aur seekh
विभाजन : टीस और सीख Vibhajan tees aur seekh
भारत विभाजन की गाथा की तरह यह पुस्तक भी क्रमिक ढंग से ही आकार लेती गई। भारत विभाजन की गाथा के कई आयाम हैं- असंख्य जीवन की हानि, भूगोल की हानि, संस्कृति की हानि, जातिगत विनाश, राजनीतिक पक्ष और सबसे बढ़कर उसे ढाँपने- छिपाने और यहां तक कि उचित ठहराने के प्रयास त्रासदी बहुआयामी है और पीड़ा को देखने, समझने, बताने के भी अनेक आयाम हो सकते हैं। यह पुस्तक यथा शक्ति आयामों को देखती, परखती और इन्हें गूंथते हुए आगे बढ़ती है।
भारत में शिक्षा की राजनीति Bharat mein shiksha ke rajneeti
ख़िलाफ़त आंदोलन Khilafat andolan
ख़िलाफ़त आंदोलन (1919-1924) भारत के मुस्लिमों के बीच ओटोमन तुर्की साम्राज्य के पतन और प्रथम विश्व …
स्वराज्य@75-swarajya75
भारत के स्वतंत्रता संग्राम का विश्लेषण करते हुए, इस ‘स्व’ को ही उस राष्ट्रीय आंदोलन की …
छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन संदेश-chhatrapthi shivaji maharaj jeevan
भगवान राम के जीवन का कारण ‘रावण संहार’ रहा होगा। भगवान कृष्ण के जीवन का कारण …
आर्यों का आदिदेश भारत Aryon ka aadidesh Bharat
आर्यों का आदिदेश भारत Aryon ka aadidesh Bharat
इस पुस्तक में आर्य समस्या के लगभग सभी संबंधित पहलुओं को शामिल किया गया है जैसे कि भारत पर आर्यों का आक्रमण, और उसका विकल्प, भारत में आर्यों का प्रवास। यह पुस्तक बताती है कि ये सभी सिद्धांत मौलिक रूप से गलत हैं। इसके अनुसार आर्य भारत के मूल निवासी थे। वास्तव में, ऋग्वैदिक लोग 2000 ईसा पूर्व के आसपास पष्चिम एशिया में चले गए जहां तुर्की में बोगाज़कोई में मिट्टी की तख्तियां मिली हैं। इन तख्तियों में हित्तियों और मित्तनी के बीच एक संधि दर्ज है जिसमें इंद्र, वरुण, आदि जैसे देवताओं को गवाह के रूप में वर्णित किया गया है।एक उत्कृश्ट मानचित्र के साथ, प्रो लाल ने प्रदर्शित किया कि ऋग्वेद और हड़प्पा सभ्यता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
अखिल भारतीय महिला चरित्र कोश – प्रथम खंड Akhil Bharatiya Mahila charitra kosh – 1
भारत एकात्मतास्तोत्र : एक व्याख्या ( सचित्र ) Hindi – Bharat Ekatmatastotra
33 श्लोकों में भारत माता की स्तुति जिसमे, भारत की पवित्र नदियां, पर्वत, क्षेत्र आदि के साथ अनेक महानुभावों का संक्षिप्त परिचय।