हिन्दवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी-Hindvi Swaraj Ke Sansthapak Chhatrapati Shivaji
हिन्दवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी-Hindvi Swaraj Ke Sansthapak Chhatrapati Shivaji
Publisher : Suruchi ; Paperback ; Pages : 188 ; Author : Om Prakash Singh
भारत विभाजन के कुछ अज्ञात तथ्य – Bharat Vibhajan Ke Kuch Agyath Tathya
विभाजन पर प्रकाशित अब तक की सभी पुस्तकों से यह पुस्तक अलग प्रकार की है। बाकी सभी पुस्तकें गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं। किंतु यह पुस्तक आम व्यक्तियों, परिवारों, गलियों, मुहल्लों, बाजारों, गांवों व नगरों में घूमती है और इस कारण जगह-जगह घटी उन दिनों की घटनाओं का जमीनी स्तर पर वर्णन करती है। यह वर्णन उन लोगों के द्वारा है, जिन्होंने यह सब स्वयं देखा और भोगा था।
सांस्कृतिक अस्मिता की प्रतीक गोमाता Sanskritik Asmit ki prateek gomata
इस पुस्तक के विद्वान लेखक ने एक विस्तृत ऐतिहासिक परिदृश्य प्रस्तुत किया है कि हिन्दू समाज ने किस प्रकार ब्रिटिश शासनकाल में गोरक्षा का बृहद् प्रयास किया था, और किस प्रकार उसे विफल किया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि ब्रिटिश शासक गोरक्षा के प्रश्न को भारत की सांस्कृतिक अस्मिता से जुड़ा हुआ मानते थे और आशंकित थे कि गोरक्षा का अभियान यदि प्रबल हुआ तो उनका साम्राज्य संकटापन्न हो जाएगा।
सैफरन स्वोर्ड्स – Saffron Swords
सैफरन स्वोर्ड्स – Saffron Swords
इन बावन कथाओं में भारत के सभी हिस्सों-पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण; सभी जातियों; स्त्री, पुरुष; 12 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष से ऊपर के उन योद्धाओं की कहानियाँ हैं, जिन्होंने आक्रान्ताओं को कई बार नाकों-चने चबवाए; और जब समय आया तो अपने प्राणों की आहुति देकर देश के लिए न्योछावर हो गए।
सावरकर : २ खंडों की पुस्तक श्रृंखला
सावरकर : २ खंडों की पुस्तक श्रृंखला
हिंदुत्व की विचारधारा के राजनीतिक पुरोधा विनायक दामोदर सावरकर बीसवीं सदी के सर्वाधिक चर्चित विचारकों में …
संघ और स्वराज – Sangh Aur Swaraj
संघ और स्वराज – Sangh Aur Swaraj
यह पुस्तक हमें बताती है कि संघ अपने जन्म से ही स्वराज के प्रति समर्पित था। डॉ. हेडगेवार का जीवन और वह शपथ, जो स्वयंसेवक लेते थे, स्वतंत्रता संग्राम के प्रति समर्पण को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं। इस स्वतंत्रता को स्वराज में बदलने के लिए भारत को अनुशासित और साहस रखनेवाले युवाओं की आवश्यकता थी, जो राष्ट्र के प्रति समर्पित हों। ब्रिटिश दस्तावेज स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि वे स्वतंत्रता संग्राम में संघ की बढ़ती ताकत को लेकर सतर्क थे।
राष्ट्रीय स्वत्व के लिए संघर्ष अतीत वर्तमान और भविष्य Rashtriya Swatva ke liye Sangharsh
राष्ट्रीय स्वत्व के लिए संघर्ष अतीत वर्तमान और भविष्य Rashtriya Swatva ke liye Sangharsh
हमारी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की वास्तविक प्रेरणा को समझने के लिए पढ़िए श्री जे नंदकुमार जी द्वारा लिखित पुस्तक राष्ट्रीय स्वत्व के लिए संघर्ष: अतीत, वर्तमान और भविष्य ।
भारत की महान क्रांतिकारी महिलाएं – Bharat Ki Mahaan Krantikari Mahilaye
हजारों ही नहीं लाखों नर-नारियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर भारत को आजादी दिलाने में …
आनंद मठ- Anand Math
आनंद मठ- Anand Math
आनंद मठ’ बँगला के सुप्रसिद्ध लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी की अनुपम कृति है। स्वतंत्रता संग्राम के दौर में इसे स्वतंत्रता सेनानियों की ‘गीता’ कहा जाता था। इसके ‘वंदे मातरम्’ गीत ने भारतीयों में स्वाधीनता की अलख जगाई, जिसको गाते हुए हजारों रणबांकुरों ने लाठी-गोलियाँ खाईं और फाँसी के फंदों पर झूल गए। देशभक्ति का जज्बा पैदा करनेवाला अत्यंत रोमांचक, हृदयस्पर्शी व मार्मिक उपन्यास ।
जनजातीय योद्धा Janjatiya yodha
जनजातीय योद्धा Janjatiya yodha
संस्कृति , स्वाभिमान, परंपरा और ‘स्वायत्तता की रक्षा के लिए जितना बलिदान, जितना संघर्ष भारत में जनजातियों का रहा है, वैसा उदाहरण विश्व में कहीं और नहीं मिलता। भारत में प्रत्येक विदेशी आक्रमण के विरुद्ध जनजातियों ने सबसे पहले संघर्ष किया और शस्त्र उठाए हैं। यह संघर्ष दोनों प्रकार का हुआ- राज्य सत्ताओं की कमान में सैन्य शक्ति के रूप में स्वतंत्र संघर्ष और बलिदान के रूप में। यदि विदेशी आक्रांताओं के छल-बल से देशी सत्ताएँ पराभूत हुईं तो जनजातियों ने इन राजपरिवारों के सदस्यों को वन में छिपाकर अपने प्राणों की आहुतियाँ दीं।
स्वतंत्रता के सोपान swatantrata ke sopaan
स्वतंत्रता के सोपान swatantrata ke sopaan
माँ भारती के लिए हजारों-लाखों सपूतों का जीवन होम हो जाता है। आध्यात्मिक, राजनीतिक, समाज को संगठित करने वाले, सुधारने वाले आंदोलन और इनके अग्रणी व्यक्ति अलग-अलग हैं परंतु सबकी अलख, सब आवाज, सबका लक्ष्य, सबकी निष्ठा एक ही है, उस ‘स्व’ की प्राप्ति ! उस की पुनर्प्रतिष्ठापना ! हर प्रयास, हर उत्सर्ग में यह चाह हर बार दिखाई देती है।
जंगल सत्याग्रह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ Jungle Satyagraha aur RSS
स्वतंत्रता कब और कैसे मिलेगी यह प्रश्न जब सर्वत्र पूछा जा रहा हो तब ‘हम पराधीन क्यों हुए और हमारी स्वतंत्रता अक्षुण्ण कैसे रहे’ इस प्रश्न का न केवल मूलभूत चिंतन, अपितु इसके उत्तर हेतु भी डा. हेडगेवार जी ने प्रयास आरंभ कर दिए थे। डा. हेडगेवार ने हमेशा ‘नैमित्तिक’ आंदोलनात्मक कार्य तथा राष्ट्र निर्माण के ‘नित्य’ कार्य को महत्व दिया। इस प्रकार के आंदोलन करने की आवश्यकता ही न पड़े ऐसी परिस्थिति निर्माण करना ही वास्तव में डाक्टरजी का दीर्घकालिक उद्देश्य था।
स्वराज्य@75-swarajya75
भारत के स्वतंत्रता संग्राम का विश्लेषण करते हुए, इस ‘स्व’ को ही उस राष्ट्रीय आंदोलन की …
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध Hyderabad nishastra pratirodh
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध Hyderabad nishastra pratirodh
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध : आर एस एस , आर्य समाज, हिन्दू महासभा का योगदान
सन् 1938 में स्थिति और भी भयावह हो गई। हिंदुओं के लिए शिकायतें दर्ज कराने के मार्ग भी बंद कर दिए गए। अन्यायी निजाम राजशाही के विरुद्ध निःशस्त्र प्रतिरोध करने के अतिरिक्त हिंदुओं के समक्ष कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था।
इस चुनौती का सामना करने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक , आर्य समाज, हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने अप्रतिम साहस का परिचय दिया । परंतु इस संघर्ष के विषय में बहुत कम समाचार मुद्रित हुई है। डॉ श्रीरंग गोडबोले ने अभिलेखागारों तथा अन्य सामग्री के आधार पर इस शोध पुस्तक की रचना की है ।
स्वतंत्रता संग्राममे जनजातीयों का योगदान Swatantrata sangram me janjaateeyon ka yogdaan
अंग्रेज शासकों के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए लडनेवाले, सर्वस्व की बली देनेवाले समाज बांधव -जनजातीयोंके क्रांतिवीर – उनकी शौर्यगाथाएं संकलित की है संस्कृती जागरण मंडलद्वारा प्रकाशित किताबमें जिसका नाम है – स्वतंत्रता संग्राममे जनजातीयों का योगदान
देश के लिए कुर्बान Desh ke liye kurbaan
देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान हुए अनेक वीरों की माला इस पुस्तक में हैं