अमृत काल में स्वामी विवेकानन्द की प्रासंगिकता-Amrit Kaal Me Swami Vivekanandki Prasangikita
अमृत काल में स्वामी विवेकानन्द की प्रासंगिकता-Amrit Kaal Me Swami Vivekanandki Prasangikita
अपने उदात्त चरित्र, विलक्षण ज्ञान और बहुमुखी प्रतिभा से सम्पूर्ण विश्व को आलोकित करनेवाले स्वामी विवेकानन्द …
समान नागरिक संहिता – एक परिचर्चा Saman Nagrik Sanhita – Ek Paricharcha
ISBN : 987-93-81500-56-9; Pages : 172 ; Suruchi Prakashan
जैसे थे वैसे चले आये – Genocide that was never told Hindi
बांग्ला हिंदुओं के जिहाद और उनके पलायन की कहानियां. यह पुस्तक ऐसे समय में आई है …
अजय से योगी आदित्यनाथ तक Ajay se Yogi Adityanath tak
अजय से योगी आदित्यनाथ तक Ajay se Yogi Adityanath tak
धैर्य, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की एक प्रेरणादायक कहानी
मोदी@20 : सपने हुए साकार Modi @20 Sapne Hue Saakaar
मोदी@20 : सपने हुए साकार Modi @20 Sapne Hue Saakaar
वर्ष 2021 में मोदी जी ने सरकार के प्रमुख के रूप में लगातार बीस वर्ष पूरे किए हैं। प्रख्यात बुद्धिजीवियों और अपने कार्यक्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा संकलित यह पुस्तक, मोदी जी के अद्वितीय शासन के मॉडल के कारण पिछले 20 वर्षों में गुजरात और भारत के मूल रूपांतरण में एक निश्चित और विस्तृत अन्वेषण का एक प्रयास है।
नए भारत के उद्भव की कहानी
भारत की शैक्षिक धरोहर Bharat Ki Shaikshik Dharohar
भारत की शैक्षिक धरोहर Bharat Ki Shaikshik Dharohar
यह पुस्तक भारत की महान शैक्षिक विरासत को कालक्रमानुसार दर्शाने की आवश्यकता को पूरा करती है। यह पुस्तक उस अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का वर्णन करती है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि गुरुओं और आचार्यों द्वारा पीढ़ियों तक छात्रों को ज्ञानार्जन का सौभाग्य मिलता रहे।
आनंद मठ- Anand Math
आनंद मठ- Anand Math
आनंद मठ’ बँगला के सुप्रसिद्ध लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी की अनुपम कृति है। स्वतंत्रता संग्राम के दौर में इसे स्वतंत्रता सेनानियों की ‘गीता’ कहा जाता था। इसके ‘वंदे मातरम्’ गीत ने भारतीयों में स्वाधीनता की अलख जगाई, जिसको गाते हुए हजारों रणबांकुरों ने लाठी-गोलियाँ खाईं और फाँसी के फंदों पर झूल गए। देशभक्ति का जज्बा पैदा करनेवाला अत्यंत रोमांचक, हृदयस्पर्शी व मार्मिक उपन्यास ।
मोपला कांड अर्थात मुझे उससे क्या moplah kand arth
मोपला कांड अर्थात मुझे उससे क्या moplah kand arth
स्वातंत्र्यवीर सावरकर की यह पुस्तक मोपलाओं द्वारा किए गए हिंदुओं के उस नृशंस एवं जघन्य नरसंहार का सजीव चित्रण है, जो हर हिंदू के मन और आत्मा को झकझोरकर रख देगी। अगर अभी भी हिंदू समाज नहीं चेता तो 1921 की वीभत्स स्थिति की पुनरावृत्ति हो सकती है।
जनजातीय योद्धा Janjatiya yodha
जनजातीय योद्धा Janjatiya yodha
संस्कृति , स्वाभिमान, परंपरा और ‘स्वायत्तता की रक्षा के लिए जितना बलिदान, जितना संघर्ष भारत में जनजातियों का रहा है, वैसा उदाहरण विश्व में कहीं और नहीं मिलता। भारत में प्रत्येक विदेशी आक्रमण के विरुद्ध जनजातियों ने सबसे पहले संघर्ष किया और शस्त्र उठाए हैं। यह संघर्ष दोनों प्रकार का हुआ- राज्य सत्ताओं की कमान में सैन्य शक्ति के रूप में स्वतंत्र संघर्ष और बलिदान के रूप में। यदि विदेशी आक्रांताओं के छल-बल से देशी सत्ताएँ पराभूत हुईं तो जनजातियों ने इन राजपरिवारों के सदस्यों को वन में छिपाकर अपने प्राणों की आहुतियाँ दीं।
परिवार प्रबोधन parivaar prabodhan
हिन्दू संस्कृति सनातन है। सनातन का अर्थ है ‘शाश्वत’। वह चिर पुरातन होते हुए नित्य नूतन भी है। अपनी संस्कृति के इस अनोखे सामर्थ्य के अनेक कारण हैं। उन कारणों में से एक है हमारा हिन्दू परिवार, हमारी हिन्दू कुटुम्ब व्यवस्था। हिन्दू परिवार में भौतिक अवश्यकताएँ पूर्ण होती हैं, परस्पर सम्बन्ध दृढ़ होता रहता है। इसके साथ-साथ एक व्यक्ति को जो करना ही है, ऐसे ‘पुण्य’ विषयों के बारे में श्रद्धा निर्माण होती है और जो नहीं करना है, ऐसे ‘पाप’ विषयों के बारे में भी बोध होता है। इस कारण व्यक्ति सक्षम बनकर समाज को शक्ति प्रदान करता है।
महान भारतीय महिलाएं
अनादिकाल से हम नारी को सर्वोच्च स्थान पर प्रस्थापित करते आ रहे हैं क्योंकि वह तेजोमय है, धीरोदात है और सृष्टिक्रम की नायिका है तथा जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी अपना विवेक नहीं खोया !अशोक वाटिका में रावण द्वारा प्रपीड़ित किए जाने पर भगवती सीता कहती हैं कि ‘रावण, तुझे मैं अपने तेज से भस्म कर सकती है किन्तु तेरा वध तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम ही करेंगे।’ इसी प्रकार से द्रोपदी दुःशासन को संबोधित करते हुए कहती है कि ‘बताओ महाराज युधिष्ठिर ने मुझे स्वयं हारने के बाद दाँव पर लगाया या पहले! स्वयं हारने के बाद मुझे दाँव पर लगाने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।’ इसी प्रकार, राजस्थानी वीरांगना कहती है कि भल्ला हुआ जो मारिया बहिणी म्हारा कंत” अर्थात् यह अच्छा हुआ जो मेरे पति युद्धक्षेत्र में मारे गए अन्यथा लज्जा के मारे अपनी सखियों को मैं अपना मुंह न दिखा पाती।’
शाखा सुरभि
हमारी प्रार्थना और प्रतिज्ञा
हमारी प्रार्थना और प्रतिज्ञा
हिन्दू प्रतिभा के दर्शन
राष्ट्र पुरुष बाबा साहेब अंबेडकर
डॉ. अम्बेडकर सशक्त, निर्भीक एवं साहसी व्यक्तित्व के साथ-साथ गम्भीर समीक्षक, मौलिक चिन्तक और तेजस्वी वक्ता भी थे। उनका विषद् अध्ययन था। पीड़ित बन्धुओं की आँखों को देखकर उनका मन दुःखी हो उठा। अपनी सुख-सुविधा को छोड़ कर जीवन भर उपेक्षित बन्धुओं के अधिकारों के लिये संघर्ष करते रहे। उपेक्षा और तिरस्कार के बावजूद समाज को छोड़ने अथवा तोड़ने का विचार कभी भी नहीं आया। आदि से अन्त तक प्रखर देशभक्ति का ही परिचय दिया। उन्होंने अपने व्यक्तित्व को हिंसा तथा आतंकवाद के साथ कभी नहीं जोड़ा। कानून की सीमाओं के अन्तर्गत हो वह सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक परिवर्तन के समर्थक थे।
हिन्दू राष्ट्र क्यों
काशी तमिलगम – एक पारंपरिक संबंद
यह पुस्तक लोगों को उन संबंधों के साथ प्रस्तुत करने का एक प्रयास है जो उनके विचारों को एक उच्च तल पर ले जाएंगे, उन्हें प्रेरित करेंगे और उन्हें एक अच्छी तरह से जुड़े हुए, पूर्ण भारतीय, एक सच्चे भारतीय के रूप में अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।
सौराष्ट्र तमिलगम – सहस्राब्दियों से संबंध
तमिलगम की परतों में एक अद्भुत सौराष्ट्रिय समुदाय है। एक रेशम बुनने वाला समुदाय, जिसने स्वयं …
इंडिया अर्थात भारत India Arthat Bharat
इंडिया अर्थात भारत India Arthat Bharat
ये पुस्तक “India, That Is Bharat” का हिन्दू अनुवाद है ।
स्वतंत्रता के सोपान swatantrata ke sopaan
स्वतंत्रता के सोपान swatantrata ke sopaan
माँ भारती के लिए हजारों-लाखों सपूतों का जीवन होम हो जाता है। आध्यात्मिक, राजनीतिक, समाज को संगठित करने वाले, सुधारने वाले आंदोलन और इनके अग्रणी व्यक्ति अलग-अलग हैं परंतु सबकी अलख, सब आवाज, सबका लक्ष्य, सबकी निष्ठा एक ही है, उस ‘स्व’ की प्राप्ति ! उस की पुनर्प्रतिष्ठापना ! हर प्रयास, हर उत्सर्ग में यह चाह हर बार दिखाई देती है।
विभाजन : टीस और सीख Vibhajan tees aur seekh
विभाजन : टीस और सीख Vibhajan tees aur seekh
भारत विभाजन की गाथा की तरह यह पुस्तक भी क्रमिक ढंग से ही आकार लेती गई। भारत विभाजन की गाथा के कई आयाम हैं- असंख्य जीवन की हानि, भूगोल की हानि, संस्कृति की हानि, जातिगत विनाश, राजनीतिक पक्ष और सबसे बढ़कर उसे ढाँपने- छिपाने और यहां तक कि उचित ठहराने के प्रयास त्रासदी बहुआयामी है और पीड़ा को देखने, समझने, बताने के भी अनेक आयाम हो सकते हैं। यह पुस्तक यथा शक्ति आयामों को देखती, परखती और इन्हें गूंथते हुए आगे बढ़ती है।
जंगल सत्याग्रह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ Jungle Satyagraha aur RSS
स्वतंत्रता कब और कैसे मिलेगी यह प्रश्न जब सर्वत्र पूछा जा रहा हो तब ‘हम पराधीन क्यों हुए और हमारी स्वतंत्रता अक्षुण्ण कैसे रहे’ इस प्रश्न का न केवल मूलभूत चिंतन, अपितु इसके उत्तर हेतु भी डा. हेडगेवार जी ने प्रयास आरंभ कर दिए थे। डा. हेडगेवार ने हमेशा ‘नैमित्तिक’ आंदोलनात्मक कार्य तथा राष्ट्र निर्माण के ‘नित्य’ कार्य को महत्व दिया। इस प्रकार के आंदोलन करने की आवश्यकता ही न पड़े ऐसी परिस्थिति निर्माण करना ही वास्तव में डाक्टरजी का दीर्घकालिक उद्देश्य था।
भारत में शिक्षा की राजनीति Bharat mein shiksha ke rajneeti
हिन्दू संगठक वीर सावरकर Hindu Sanghatak Veer Savarkar
हिन्दू संगठक वीर सावरकर Hindu Sanghatak Veer Savarkar
सावरकर जी के हिन्दू संगठक पहलु पर प्रकाश डालती यह पुस्तक कई बातों का खुलासा करने जा रही है | अंडमान में किया गया हिन्दू संगठन, रत्नागिरी में छुआछूत निर्मूलन, हिन्दुओं को सेना में भर्ती होने की आग्रही भूमिका का मुख्य कारण आदि कई विषयों का विस्तार पूर्वक विवेचन इस पुस्तक में किया गया है |
पृष्ठ संख्या – 192