Description
अनादिकाल से हम नारी को सर्वोच्च स्थान पर प्रस्थापित करते आ रहे हैं क्योंकि वह तेजोमय है, धीरोदात है और सृष्टिक्रम की नायिका है तथा जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी अपना विवेक नहीं खोया !अशोक वाटिका में रावण द्वारा प्रपीड़ित किए जाने पर भगवती सीता कहती हैं कि ‘रावण, तुझे मैं अपने तेज से भस्म कर सकती है किन्तु तेरा वध तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम ही करेंगे।’ इसी प्रकार से द्रोपदी दुःशासन को संबोधित करते हुए कहती है कि ‘बताओ महाराज युधिष्ठिर ने मुझे स्वयं हारने के बाद दाँव पर लगाया या पहले! स्वयं हारने के बाद मुझे दाँव पर लगाने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।’ इसी प्रकार, राजस्थानी वीरांगना कहती है कि भल्ला हुआ जो मारिया बहिणी म्हारा कंत” अर्थात् यह अच्छा हुआ जो मेरे पति युद्धक्षेत्र में मारे गए अन्यथा लज्जा के मारे अपनी सखियों को मैं अपना मुंह न दिखा पाती।’
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