Description
About the book :
अग्निकन्या हजारों वर्ष पूर्व अग्नि से प्रकट हुए एक अप्रतिम अस्तित्व हिमालय की बर्फ के नीचे आज भी सो रही है पांडव पत्नी, श्रीकृष्ण की सखी, अप्रतिम सम्राज्ञी दी स्वर्गारोहण मार्ग पर चलते हुए नगाधिराज के बर्फ पर गिर गई। तब उसके ज्येष्ठ पति युधिष्ठिर ने कहा था, ‘तुम अर्जुन से ज्यादा प्रेम कर रही थीं, इस अधर्म के कारण सबसे पहले गिरीं।’ धर्मराज के कथन का गूढ़ अर्थ हो सकता है, लेकिन विश्व ने ‘वह किसे प्रेम करती है पाँच पतियों की पत्नी थी, भरी सभा में’ जैसी पार्थिव बातों से आगे वह कुछ नहीं जानता द्रुपद की प्रिय पुत्री की यह कथा उसके पूर्णत्व का दर्शन कराती है। जीवन एक निरंतर चलता संघर्ष है, यह संघर्ष का लक्ष्य सत्य एवं धर्म से अलग नहीं है। वह विशेषकर सतीत्व का सत्यार्थ क्या है? वह कहती, स्त्री के अस्तित्व की, महत्ता की एवं स्वतंत्रता की बात करती यह कथा हर व्यक्ति को पढ़नी चाहिए।.
ISBN : 978-9351862222 ; Publisher : Prabhat Prakashan ; Language : Hindi ; Hardcover
About the Author :
वर्ष १९४७ में जनमे ध्रुव भट्ट गुजराती के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में से एक हैं। उनकी अनेक साहित्यिक कृतियों में ‘समुद्रांतिके’, ‘तत्त्वमसि’, ‘अतरापी’, ‘अकूपर’ आदि बहुप्रशंसित हो चुकी हैं। अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित।.
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