मनुस्मृति Manusmriti
मनुस्मृति Manusmriti
मनुष्य ने जब समाज व राष्ट्र्र के अस्तित्व तथा महत्त्व कौ मान्यता दी, तो उसके कर्तव्यों और अधिकारों की व्याख्या निर्धारित करने तथा नियमों के अतिक्रमण करने पर दण्ड व्यवस्था करने की भी आवश्यकता उत्पन्न हुई । यही कारण है कि विभिन्न युगों में विभिन्न स्मृतियों की रचना हुई, जिनमें मनुस्मृति को विशेष महत्व प्राप्त है । मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हज़ार पांच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित्त आदि अनेक विषयों का उल्लेख है।
सपना जो पूरा हुआ Sapna Jo Pura Hua
सपना जो पूरा हुआ Sapna Jo Pura Hua
ये पुस्तक अमूल के संस्थापक वरगीस कुरियन द्वारा रचित “ I too had a dream ” का हिन्दी अनुवाद है
पंच यज्ञ से परम वैभव Pancha Yagna Se Param Vaibhav
यह यज्ञ-परम्परा वास्तव में कर्तव्य कर्म के रूप में प्रारम्भ हुई। भगवान् कृष्ण ने इसे बहुत अच्छे प्रकार से भगवद्गीता में समझाया है। भगवान् उसमें वर्णन करते हैं कि सारी दुनिया क्या है, कैसे बनी तो भगवान् कहते हैं कि “सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः”। यानी भिन्न-भिन्न मानव समूह जो उत्पन्न हुए, तो सहयज्ञाः प्रजा सृष्ट्वा हर एक अपने-अपने कर्तव्य कमों के साथ में यह प्रजा है। इसलिए हर एक के अपने-अपने कर्तव्य कर्म को यज्ञ के रूप में कहा गया है !
अखिल भारतीय महिला चरित्र कोश – प्रथम खंड Akhil Bharatiya Mahila charitra kosh – 1
मुस्लिम शरीयत वास्तविकता Muslim Shariyat Vastavikta
ईसाईयत का भारत को निगलने का कुचक्र Isayiyat ka Bharat ko nigalne ka kuchakra
बृहद अनुवाद चंद्रिका Brihad Anuvaad Chandrika
बृहद अनुवाद चंद्रिका Brihad Anuvaad Chandrika
भारतीय संस्कृति का स्रोत एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की जननी, संस्कृति भाषा का अध्ययन उसके नियमबद्ध व्याकरण की दुरुहता के कारण कठिन हो गया है। तथापि इस तथ्य को तो सभी देश-विदेशी भाषा-विशारदों ने माना है कि संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त वैज्ञानिक एवं सुव्यवस्थित है। निःसन्देह उसके प्राचीन ढंग के अध्ययन तथा अध्यापन से आजकल के सुकुमार बालकों का अपेक्षित बुद्धिविकास नहीं होता और न उन्हें वह रूचिकर ही प्रतीत होता है। इसी कठिनाई को ध्यान में रखते हुए संस्कृत भाषा के अध्ययन एवं अध्यापन को आजकल के वातावरण के अनुकूल सरल तथा सुबोध बनाने का प्रयत्न किया है !
जय भीम वन्देमातरम Jai Bheem Vandemataram
जय भीम वन्देमातरम Jai Bheem Vandemataram
Pre-Order discount 20% ; Release program Aug 30th, 2022.
इस पुस्तक में इन विषयों पर प्रकाश डाला गया है :
1. “जय भीम-जय मीम” (दलित-मुस्लिम एकता) और “जय भीम-लाल सलाम” (दलित वामपंथ) के नारों से दलित बहुजन समुदायों को कैसे धोखा दिया गया और दिया जा रहा है ?
2. कैसे वामपंथ की जड़ों में ही भेदभाव है ।
3. वामपंथ डॉ. अंबेडकर का और अंबेडकरवाद का कैसे विरोध करता है ?
4. वामपंथ और इस्लाम पर डॉ. अंबेडकर का क्या कहना था ?
5. ईसाई धर्म कैसे अस्पृश्यता का समर्थन करता है ?
6. समरस समाज या समाज में समरसता क्या है ?
7. भारतीय समाज के लिए ”जय भीम वन्दे मातरम्” से हमारा क्या अर्थ है ?
विश्व सभ्यताओं का जनक : भारत Vishwa sabhyataon ka janak Bharat
विश्व सभ्यताओं का जनक : भारत Vishwa sabhyataon ka janak Bharat
इस पुस्तक में आर्यावर्त में ही सृष्टि के प्रथम में मनुष्य उत्पत्ति, वेद ज्ञान का प्रकाश, वैवस्वत मन्वन्तर में मनुष्य सृष्टि का विस्तार, वैदिक ग्रन्थों में वर्ण व्यवस्था वास्तविक स्वरूप भी स्पष्ट करने की कोशिश की है, ताकि मुख्य विषय को ठीक प्रकार से समझा जा सके व भ्रान्त धारणाओं का खंडन हो सके। इस पुस्तक के माध्यम से आर्य, द्रविड अथवा विदेशी और मूल आर्य निवासी की निराधार भ्रान्त धारणाओं का जो कुछ लोग अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए व देश को पुनः विभाजित करने के लिए प्रचार कर रहे हैं उनका भी पूर्णतया खंडन होगा।
स्वतंत्रता संग्राममे जनजातीयों का योगदान Swatantrata sangram me janjaateeyon ka yogdaan
अंग्रेज शासकों के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए लडनेवाले, सर्वस्व की बली देनेवाले समाज बांधव -जनजातीयोंके क्रांतिवीर – उनकी शौर्यगाथाएं संकलित की है संस्कृती जागरण मंडलद्वारा प्रकाशित किताबमें जिसका नाम है – स्वतंत्रता संग्राममे जनजातीयों का योगदान
भारतीय व्यवहार कोश : सोलह भाषाओं का शब्दकोश – Bharatiya Vyavahaar kosh
भारतीय व्यवहार कोश : सोलह भाषाओं का शब्दकोश – Bharatiya Vyavahaar kosh
भाषाज्ञान से ही भारत की एकात्मता का साक्षात्कार हम कर लें। इस सिद्धि को पाते ही दूसरों की भाषा के प्रति विद्वेष की भावना मन में पैदा तक नहीं होगी और भाषिक सहिष्णुता के पथपर हम अतिवेग से अग्रसर होंगे! भारत की भाषाओं का परिचय हमें सुलभता से हो और अन्यान्य प्रान्तों में जाने के बाद सर्व क्षेत्रों में हम अपना व्यवहार आसानी से निभा सकें, एतदर्थ भारतीय व्यवहार कोश का निर्माण कर के अन्य भाषाओं को व्यावहारिक स्तर पर जानने की पहली सीढ़ी तैयार करने का प्रयास हम ने किया है।
बिरसा मुंडा : भारत माता का वीर पुत्र Bharat Mata ka Veer Putra Birsa Munda
बिरसा मुंडा : भारत माता का वीर पुत्र Bharat Mata ka Veer Putra Birsa Munda
बिरसा मुंडा – उन्होंने अपने समुदाय और उसके लोगों की ज़िंदगियों की रक्षा के लिए वनवासियों की लड़ाई का नेतृत्व करने का फ़ैसला किया। शेर दिल योद्धा, कल्याणकर्ता, आध्यात्मिक मार्गदर्शक और एक भुला दिया गया नायक। सच्ची घटनाओं पर आधारित, साहस की यह वीर गाथा बिरसा मुंडा के जीवन को एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने अत्यंत संक्षिप्त जीवन में वनवासियों समुदाय को संगठित किया और ज़बरन धर्मांतरण के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। उन्होंने भेदभाव रहित और अधिक न्यायपूर्ण समाज की कल्पना की और इसके लिए लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी। यह पुस्तक एक वनवासी नायक की रोमांचकारी कहानी है जिसका इतिहास की ज़्यादातर किताबें उल्लेख नहीं करतीं। स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
वीर सावरकर : जो भारत का विभाजन रोक सकते थे Veer Savarkar ( Hindi )
वीर सावरकर : जो भारत का विभाजन रोक सकते थे Veer Savarkar ( Hindi )
“वीर सावरकर” पुस्तक सावरकर जैसे तपोनिष्ठ चिंतक एवं भारत की सुरक्षा के जनक के उस पक्ष को प्रस्तुत करती है, जिससे भारत के विभाजन को रोका जा सकता था।
इस पुस्तक में देश एवं उसकी नई पीढ़ी के समक्ष भारत विभाजन, जोकि तुष्टीकरण की राजनीति के कारण हुआ था, को सत्य कथा को प्रस्तुत करने एवं इतिहास को परिवर्तित करने की उर्वरा है। आज देश को एकजुट बनाए रखने के लिए सावरकरवादी दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है।
ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार : Isavaad aur Purvottar Bharat Ka Sanskritik Sanhar
ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार : Isavaad aur Purvottar Bharat Ka Sanskritik Sanhar
प्राकृतिक सुषमा से परिपूरित पूर्वोत्तर के लोग अनंतकाल से अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक मान्यताओं के साथ तुष्ट जीवन जीते आ रहे थे। परंतु लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अंग्रेजी सरकार के षड्यंत्र से ईसावादियों का इस प्रशांत क्षेत्र पर आक्रमण हुआ, जिसने वहाँ की सभ्यता व संस्कृति का निर्ममतापूर्वक संहार किया। आज वहाँ के लोग कहीं के नहीं हैं। न तो वे अपने रहे और न भारत के। ईसावादियों ने योजनाबद्ध पद्धति से उन्हें शेष भारत से काट कर भारत विरोधी बना दिया। वैश्विक संस्कृति संहारक ईसावाद का यह वास्तविक रूप है, जिसका दंश सरल हृदय पूर्वोत्तरवासियों ने झेला है। यदि इस पापाचार को रोका न गया, तो समस्त भारतवर्ष का सांस्कृतिक विनाश हो जाएगा। इस पूरे विनाशकारी दौर का आरम्भ कब और कैसे हुआ ? पूर्वोत्तर के समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ा? यह पुस्तक इन सभी आयामों पर शोध-परक प्रकाश डालती है
भारत एकात्मतास्तोत्र : एक व्याख्या ( सचित्र ) Hindi – Bharat Ekatmatastotra
33 श्लोकों में भारत माता की स्तुति जिसमे, भारत की पवित्र नदियां, पर्वत, क्षेत्र आदि के साथ अनेक महानुभावों का संक्षिप्त परिचय।
गोरक्षा राष्ट्र रक्षा Go Raksha Rashtra Raksha
गाय का भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक महत्त्व है। इतना महत्त्व कि गाय और भारतीय संस्कृति एक रूप ही हो गई है। गंगा और गाय इन दोनों को केन्द्र में रख कर ही भारतीय संस्कृति का प्रवाह अनन्त काल से विद्यमान है। भारतवर्ष में तुर्की, पठानों, मुगलों व अरबों के आक्रमणों के कारण और उसके उपरान्त यूरोपीय जातियों के आधिपत्य के कारण देश के कई हिस्सों में गौ वध का प्रचलन भी प्रारम्भ हो गया। स्वाभाविक है कि इससे भारतीयों में क्रोध और दुःख उत्पन्न होता। मुसलमानी शासकों ने तो शायद गौ हत्या का प्रचलन इसलिए किया होगा कि वे अपनी विजय के उपरान्त भारतीयों को अपमानित करना चाहते होंगे, क्योंकि गाय एक प्रकार से भारतीयता के प्रतीक के रूप में ही स्थापित हो चुकी थी।
भारतीय मुसलमानों के हिन्दू पूर्वज Bharatiya Musalmano Ke Hindu Purvaj
वन्देमातरम और इस्लामिक नज़रिया Vande Mataram Aur Islamic Nazariya
सेकूलरिज्म ने देश में किस प्रकार से विकार घोले हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण वन्दे मातरम् है। एक और जहाँ भारत में असंख्य सेनानियों ने वन्दे मातरम् का उद्घोष करते हुए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया, वहीं सेकूलरिज्म की आड़ में इस्लामपंथी, देशभक्तों की इस शहादत को केवल इसलिए नकार देते हैं कि इस्लाम उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देता। इस्लामपंथियों की यह अपमानजनक उपेक्षा देश के भीतर ना केवल अनावश्यक तनाव पैदा करती है अपितु देश के सामुदायिक सौहार्द को भी नष्ट करती है।
महाराणा : सहस्त्र वर्षो का धर्मयुद्ध ( Hindi ) Maharana
महाराणा : सहस्त्र वर्षो का धर्मयुद्ध ( Hindi ) Maharana
इस क्षणभंगुर अस्तित्व में यदि कोई तत्त्व स्थायी हैं तो वे हैं आत्मसम्मान तथा स्वतंत्रता। ये तत्त्व, बहुत मूल्य चुका कर प्राप्त होते हैं। मेवाड़ के महान सिसोदिया राजवंश ने अपने सुख, संपत्ति व जीवन का मूल्य चुकाकर ये तत्त्व हिंदू समाज को सहजता से दे दिए। एक सहसख्र वर्षों तक अरावली में यायावरों का सा जीवन जीने वाले मेवाड़ के इन अवतारी पुरुषों के कारण ही भारत में आज केसरिया लहराता है।
यह पुस्तक उन महापुरुषों के प्रति हिंदू समाज की कृतज्ञता व्यक्त करने का एक प्रयास है। लेखक ने निष्पक्ष प्रामाणिकता से भारत के इतिहास के साथ हुए व्यभिचार को उजागर किया है । यह पुस्तक स्थापित भ्रांतियों को भंग करने के अतिरिक्त नई मान्यताओं को भी स्थापित करती है
अम्बेडकर, इस्लाम और वामपंथ Ambedkar, Islam Aur Vampanth
अम्बेडकर, इस्लाम और वामपंथ Ambedkar, Islam Aur Vampanth
ये पुस्तक न सिर्फ बाबा साहब अम्बेडकर के इस्लाम और वामपंथ के प्रति उनके विचारों को पाठकों के सामने रखती है, वरन आज की ताजा राजनीति में इस्लाम एवं वामपंथ के नेतृत्व द्वारा अम्बेडकर को अपना बनाने के प्रयासों—जैसे सीएए (CAA) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान—के सत्य को उजागर करती है।
श्रीमद वाल्मीकि रामायण (सटीक) Srimad Valmiki Ramayana Hindi
Srimad Valmiki Ramayana (Satik) श्रीमद वाल्मीकि रामायण (सटीक) – प्रथम & द्वतीय खण्ड, Part -1 & 2
Due to the high weight of the 3 volumes coupled with the subsidized prices of Geeta press, we have added Rs. 225 ( 165/-+60/- )towards packaging & logistics.
आदि देव आर्य देवता Aadi Dev Arya Devata
आदि देव आर्य देवता Aadi Dev Arya Devata
इस अध्ययन में प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों की खोजों को मिलाकर संयुक्त रूप से यह बताने का प्रयास किया है कि जनजातीय समाज हिंदू सभ्यता की कुंजी और आधार है।
नेताजी रहस्य गाथा Netaji Rahasya Gaatha
नेताजी रहस्य गाथा Netaji Rahasya Gaatha
यह पुस्तक में देश-विदेश से तमाम दुर्लभ जानकारियां प्राप्त की गई हैं, जिनमें कई गोपनीय दस्तावेज भी शामिल हैं। नेताजी से जुड़े रहस्य को जानने और नेहरू से मोदी युग तक के राजनीतिक पहलू को समझने के लिए इस पुस्तक का कोई बेहतर नहीं है।
धर्म की अवधारणा Dharma ki avadharana
धर्म जितना ऊँचा है, उतना गहरा है, जितना व्यष्टि केन्द्रित है उतना समष्टि व्यापक है, जितना पुराना है उतना नया है, जितना चिरन्तन है उतना गतिमान है, जितना बहुआयामी है उतना एकाग्र है। वह सर्वभूतहित का अमृतकलश है, जगन्मंगल कल्पवृक्ष है।