Description
About the book :
यह पुस्तक ‘हिंदुत्व’ से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं. हिंदुत्व का वास्तविक अर्थ क्या.. हिन्दू होने के मायने.. हिन्दू, हिंदुत्व इन शब्दोंका ऐतिहासिक महत्व… इन सारे विषयों पर विस्तार से चर्चा के गयी हैं.
विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थनास्थल हिन्दू हैं, ख्रिश्चन या मुस्लिम नहीं. यह हमऋ जानकारी में ही नहीं हैं. कम्बोडिया का ‘अंगकोर वाट’ यह मंदिर, दुनिया का सबसे बड़ा प्रार्थनास्थल हैं. और कम्बोडिया ने अपने राष्ट्रध्वज में उसे अंकित किया हैं, इसकी भी जानकारी हमें नहीं रहती. हिंदुत्व के मामले में हम उदासीन रहते हैं. इसी उदासीनता को दूर करने का यह छोटासा प्रयास हैं – हिंदुत्व यह पुस्तक.
इस पुस्तक के विभिन्न प्रकरण हैं – हम हिन्दू किसे कहेंगे, संगठित हिन्दू समाज, सामर्थ्यशाली हिन्दू, समरस हिन्दू, राष्ट्र सर्वप्रथम, और विघटन प्रारंभ हुआ…, आडंबर की उपासना, हिंदुत्व का तेजस्वी पुनर्जागरण, हिंदुत्व के सामने की चुनौतियाँ और विजयपर्व का शंखनाद.
प्राचीन काल में, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक इन सभी क्षेत्रों में समता का तत्व, सामाजिक मूल्य के रूप में प्रस्थापित था. इसका अनुसरण कर, समाज एकरस, एकरूप हुआ था. और इसीलिए उस समय हिन्दू समाज, दुनिया का सबसे बलशाली समाज माना जाता था. हिंदुत्व का इतिहास यह विजय का इतिहास हैं. संगठित हिन्दू शक्ति के यशस्वी प्रकटीकरण का इतिहास हैं. यह हिन्दुओं की विजिगीषु वृत्ति का इतिहास हैं.
हिन्दू समाज की मान्यता हैं की समाज पुरुष यही हमारा ईश्वर हैं. समाज की और राष्ट्र की पूजा याने साक्षात् ईश्वर की पूजा..!’ किसी जमाने में, एक हजार वर्ष पूर्व, ‘राष्ट्र सर्वप्रथम’ इस मंत्र को लेकर हम दुनिया के सबसे शक्तिशाली और वैभवशाली देश बने थे. आज उसे फिर अपनाना हैं..! हमारे ऋषि – मुनियों ने इस विशाल देश के विभिन्न समुदायों में, समूहों में एकता का, समता का सूत्र पिरोया था. ‘हम सब हिन्दू हैं’ यह सूत्र तो था ही. सबकी भाषा भले ही भिन्न हो, संपर्क भाषा एक ही थी – संस्कृत. खैबर के दर्रे से सुदूर कंबोडिया, जावा, सुमात्रा तक संस्कृत ही चलती थी. यह ज्ञान की भाषा थी, व्यापार की भाषा थी, लोक भाषा थी. फिर समता का सूत्र था. वर्ण व्यवस्था के बावजूद समरसता थी, कारण ‘वर्ण’ यह जन्म के आधार पर तय नहीं होते थे. वह तो कार्य करने के अलग अलग वर्ग थे.
और इसी आधार पर हिंदुत्व ने पूरे विश्व में धाक जमाई थी. एक भी आक्रमण न करते हुए सारा दक्षिण एशिया हिन्दू बन चुका था. और यहाँ उत्तर – पश्चिम की सीमा पर हमने सिकंदर, शक, कुशाण, हूण जैसे हमले न केवल झेले थे, उनको परास्त किया था या भगा दिया था. किन्तु बाद में मुस्लिम आक्रान्ताओं के आने के बाद दलित अत्याचार, अस्पृश्यता, उच्च वर्ण का वर्चस्व आदि विकृतियां समाज में पैठ गयी. और इसी को हम धर्म समझने लगे. हिन्दू धर्म का स्वरुप ही बदल गया. धर्म की व्याख्या बदल गयी. आडंबर बढ़ गया. हिन्दू धर्म पराभूत हुआ. भारत का यह हाल देखकर दक्षिण-पूर्व एशिया का हिन्दू बहुल क्षेत्र भी अपना धर्म बदलने लगा.
जब हम संगठित थे, समरस थे, तब दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्र थे. दुनिया के सबसे संपन्न, सबसे धनवान राष्ट्र थे. जैसे ही हमारे सामाजिक धागे कमजोर होते गए, सामाजिक रूप से हम बिखरते गए. मुस्लिम आक्रांताओं के हाथों और बाद में अंग्रेजों के द्वारा हम परास्त होते गए. हमारे संगठित शक्ति की ताकत ही हम भूल गए थे.
हिंदुत्व के इन विभिन्न पहलुओं को इस पुस्तक में रेखांकित करने का प्रयास किया गया हैं.
About the author : लेखक परिचय :
‘दिशा कंसलटेंट्स’ और भारती वेब (प्रा.) लिमिटेड, नागपुर में निदेशक। लगभग 34 वर्षों का व्यावसायिक कार्य का अनुभव। 35 से अधिक देशों का प्रवास।
मेल्ट्रोन (Meltron—Maharashtra Electronics Development Corporation) में संशोधन विभाग प्रमुख थे। अनेक नए उत्पाद विकसित किए। बालासोर के मिसाइल्स फायरिंग इंटरिम टेस्ट रेंज के लिए विशेष उपकरण विकसित किया। (सन् 1990)। 1998-99 में महाराष्ट्र सरकार के आई.टी. टास्क फोर्स के सदस्य थे। 1999 में ‘World Who’s Who’ में चयन। अनेक मल्टी-नेशनल टेलिकॉम और आई.टी. कंपनियों के सलाहकार। केंद्रीय सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्रालय में आई.टी. टास्क फोर्स के सदस्य। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के महाविद्वत परिषद् के सदस्य। IIIT, जबलपुर की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य। मुंबई विश्वविद्यालय के काउंसिल में आई.टी. सलाहकार।
लोकमत, तरुण भारत, विवेक, एकता, पाञ्चजन्य, ऑर्गेनाइजर आदि पत्रिकाओं में स्तंभ लेखन। ‘वे पंद्रह दिन’ पुस्तक हिंदी, मराठी और गुजराती में प्रकाशित।
‘महाकोशल विश्व संवाद केंद्र’ के कार्याध्यक्ष।
Archana Gaur – :
• Knowing India as Bharat specially for people who have studied in convent school & has been away from Indian culture, this book gives a glimpse of Rich Indian Culture
• I read the name of the book & was curious as it looks small & how it has covered such an intense topic, very happy that I picked up & read.
• It starts with explaining in simple language what Hindutva is, so broad in thinking, accepting, cannot be defined but it is in the way of living.
• It covers the history of India at high level which makes you want to read more about it.
• Very nicely put forwarded with examples about how in India it’s the values that define an individual & not where you are born.
• When you read you feel proud of the culture you belong to.
• I would definitely recommend this book to everyone which is like a small window, when you open it you see the whole sky!!