Description
पुस्तक परिचय :
इस पुस्तक में आर्यावर्त में ही सृष्टि के प्रथम में मनुष्य उत्पत्ति, वेद ज्ञान का प्रकाश, वैवस्वत मन्वन्तर में मनुष्य सृष्टि का विस्तार, वैदिक ग्रन्थों में वर्ण व्यवस्था वास्तविक स्वरूप भी स्पष्ट करने की कोशिश की है, ताकि मुख्य विषय को ठीक प्रकार से समझा जा सके व भ्रान्त धारणाओं का खंडन हो सके। इस पुस्तक के माध्यम से आर्य, द्रविड अथवा विदेशी और मूल आर्य निवासी की निराधार भ्रान्त धारणाओं का जो कुछ लोग अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए व देश को पुनः विभाजित करने के लिए प्रचार कर रहे हैं उनका भी पूर्णतया खंडन होगा।
इस पुस्तक में उन प्रमाणों को सम्मिलित किया गया है जो कि, भारतीय एवं अन्य देशों के विद्वानों द्वारा विभिन्न कालखण्डों में प्रमाणित किये गए हैं, उनके द्वारा किये गए तार्किक शोध को इस पुस्तक में क्रमगत रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। सभी शोध ग्रन्थों से ये प्रमाणित होता है कि, विश्व की समस्त प्राचीनतम सभ्यताओं का आरम्भ भारत (आर्यावर्त) के आर्यों द्वारा ही हुआ है। अतः समस्त विश्व के पूर्वज भारतीय ऋषियों की ही सन्ताने हैं, एवं समस्त ज्ञान का स्रोत भारत के ऋषि और वेद ही हैं।
Author : Dr. Akhilesh Chandra Sarma
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