Description
स्वतंत्र भारत के प्रत्यक्ष राजनीति में साम्यवादी सफल नहीं हुए। किंतु शिक्षा, मीडिया और विचार-विमर्श के संपूर्ण क्षेत्र में वामपंथी प्रभाव बढ़ता गया है। यह असंतुलित परिदृश्य कभी-कधार नोट किया जाता है। किंतु इसकी गंभीर समीक्षा नहीं हुई कि ऐसा क्यों है? तथा इस कारण हमारे देश को कितनी हानि हुई और आज भी हो रही है? यह छोटी सी पुस्तक अत्यंत संक्षेप में, इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देती है। इस में भारत में साम्यवादी राजनीतिक इतिहास के सबसे महत्त्वपूर्ण प्रसंगों, परिघटनाओं व विशेषताओं को सार रूप में, बिन्दुवार, प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, साम्यवादी नेताओं के वास्तविक व्यवहार और मानसिकता की भी एक प्रमाणिक झलक दी गई है। यह साम्यवादी राजनीति के ऐतिहासिक पुनरावलोकन के साथ-साथ उसकी वर्तमान नीति को समझने में भी सहायक होगी।
Author : Shankar Sharan ; Pages: 98 ; Paperback ; Publisher : Akshay Prakashan
About the Author:
1.प्रोफेसर, राजनीति शास्त्र, एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली।
2.श्रेष्ठ लेखन के लिए प्रधान मंत्री के हाथों ‘नचिकेता पुरस्कार’ (2003), हिन्दी में
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