Description
About the Book :
यह पुस्तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक श्री बालासाहेब देवरस द्वारा १९६५ में दिए गए ६ भाषणों का संकलन है . वे तब संघ के सरकार्यवाह के नाते जिम्मेदारी निभा रहे थे .
” संघ केवल संघ शाखा तक ही सीमित नहीं है . संघ्स्थान, संघ शाखा का आधार मात्र हा – बिलकुल प्राथमिक वास्तु है. इसके आधार पर हमें साड़ी समाज में व्याप्त हो जाना है. आज की परिस्थितियों में सब क्षेत्रों के बारे में सम्यक दृष्टि से सोचना अनिवार्य हो गया है. अपनी विशिष्ट कार्य पद्धति दैनिक शाखा के द्वारा जो नित्यसिद्ध शक्ति कड़ी होती है, उसके आधार पर या संघ की प्रेरणा से स्वयंसेवक को सारे समाज के सब क्षेत्रों पर छा जाना चाहिए. संघ्स्थान पर हमरे अन्तः करण में जो भाव निर्माण होते है, वे सम्पूर्ण समाज को ही व्याप्त कर लें. संघ और समाज एकरूप हो जाना चाहिए ” – श्री बालासाहेब देवरस
Publisher : Vimarsh Prakashan ; ISBN : 9788193503287 ; Pages : 80 ; Language : Hindi


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