Description
स्वातंत्र्यवीर सावरकर की यह पुस्तक मोपलाओं द्वारा किए गए हिंदुओं के उस नृशंस एवं जघन्य नरसंहार का सजीव चित्रण है, जो हर हिंदू के मन और आत्मा को झकझोरकर रख देगी। अगर अभी भी हिंदू समाज नहीं चेता तो 1921 की वीभत्स स्थिति की पुनरावृत्ति हो सकती है।
Pages:174
Author : Vinayak Savarkar
Publisher: Prabhat



Reviews
There are no reviews yet.