मैं साधारण स्वयंसेवक – Mai Sadharan Swayamsevak

अनेक स्वयंसेवक अपना परिचय ‘मैं एक साधारण स्वयंसेवक हूँ’ – इन शब्दों में करा देते हैं। परिचय के इस सादे सूत्र को लेकर इस बौद्धिक वर्ग में परम पूजनीय श्री गुरुजी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समूची विशेषताओं का प्रतिपादन किया है।

30.00

2 in stock

Compare
Categories: , , Tags: ,

Description

अनेक स्वयंसेवक अपना परिचय ‘मैं एक साधारण स्वयंसेवक हूँ’ – इन शब्दों में करा देते हैं। परिचय के इस सादे सूत्र को लेकर इस बौद्धिक वर्ग में परम पूजनीय श्री गुरुजी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समूची विशेषताओं का प्रतिपादन किया है।

संघ का सामान्य स्वयंसेवक, जैसा कि वह कहता है, ‘सामान्य’ नहीं है। उसमें एक निराली ‘असामान्यता’ है। वह असामान्यता, जिसका उसे भान ही नहीं है, फिर अभिमान होना तो बहुत दूर ! परन्तु श्री गुरुजी कहते हैं – सामान्य स्वयंसेवक होना प्रतिष्ठा की बात है। उसके समान गर्व करने योग्य अन्य कोई बात हो ही नहीं सकती। पद और अधिकार तो केवल व्यवस्था की बातें है; मूल आधार है स्वयंसेवक होना।

Pages : 23 ; Publisher : Suruchi ; PaperBack

Author

M. S. Golwalkar

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “मैं साधारण स्वयंसेवक – Mai Sadharan Swayamsevak”

You may also like

Select at least 2 products
to compare