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लव जिहाद Love Jihad

भोली-भाली लड़कियों को नाना युतियों से अपने झूठे प्रेमजाल में फाँसकर उनका त और शारीरिक शोषण ही है ‘लव जिहाद’। एक भुतभोगी की यथा-कथा है यह उपन्यास ‘लव जिहाद’|

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  • Swati Kale

About the Book : 

मैं पागलों की तरह उसे देख रही थी। उसके लब्ज़ कानों में गूँज रहे थे और जबान सच में मुझेहाँह में चिपक गई थी। शादी को एक दिन भी पूरा नहीं हुआ था और झुबेर से ऐसा कुछ सुनने को मिलेगा, मैं सोच भी नहीं सकती थी। मुझे तो क था कि झुबेर कभी भी मेरा दिल नहीं दुखाएगा। मुझे जैसे उसने झिंझोड़कर रख दिया। उसकी बातें बरदाश्त के बाहर थीं। मैं चुपचाप सिर झुकाकर आँसू बहाती रही। शराफत का नकाब पहने हुए झुबेर का असली चेहरा मेरे सामने आ रहा था। वह मेरे घरवालों को, धर्म को, समाज को गालियाँ दिए जा रहा था, रुक ही नहीं रहा था। ऐसा यों कर रहा था वह? उस वत की उसकी नजर एकदम सूखी व ठंडी थी। होंठों के एक कोने से उसका हँसना, गुस्से से जलनेवाली आँखें मेरे दिल में खंजर की तरह चुभ रही थीं। सुबह पाँच बजे वह चुप हुआ और पेट के बल गहरी नींद में सो गया। शादी के पहले का झुबेर, मेरी आँखों के आँसू देखना भी जिसे पसंद नहीं था, मुझे हमेशा हँसते देखना चाहता था, उम्र भर मुझे फूलों जैसा सँभालकर रखने का दावा करनेवाला या यह वही झुबेर है? —इसी उपन्यास से  झूठ, फरेब, धोखा, ढकोसला, झूठी संवेदना—यही है ‘लव जिहाद’। भोली-भाली लड़कियों को नाना युतियों से अपने झूठे प्रेमजाल में फाँसकर उनका त और शारीरिक शोषण ही है ‘लव जिहाद’। एक भुतभोगी की यथा-कथा है यह उपन्यास ‘लव जिहाद’|

ISBN : 978-9352666706 ; Pages : 136 ; Language Hindi ; Prabhat Prakashan

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