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अतरपी Atarapi Novel

अपने आप में एकदम अलग और अद्भुत उपन्यास में वरिष्ठ गुजराती लेखक श्री ध्रुव भट्ट ने दो कुत्तों को केंद्र में रखकर उनमें मानव के विविध पक्षों का अत्यंत मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है।

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About the book : 

अपने आप में एकदम अलग और अद्भुत उपन्यास में वरिष्ठ गुजराती लेखक श्री ध्रुव भट्ट ने दो कुत्तों को केंद्र में रखकर उनमें मानव के विविध पक्षों का अत्यंत मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है।

एक सुबह साधक कौलेयक अपने नित्य पाठ बोलते हुए नदी किनारे चला जा रहा था। इसी तरह वह एक बाड़ी के पास से गुजर रहा था कि उस बाड़ी के मालिक एक किसान युवक ने उसे रोका, ‘‘भगत, जरा रुक, यहाँ तक आया है तो मेरी बाड़ी में आ। यह जो मंत्र तू बोल रहा है, वह कुछ हमारे पिल्लों को भी सिखाता जा।’’ ‘‘मैं भगत नहीं, साधक हूँ।’’ कौलेयक ने जवाब दिया। ‘‘दोनों एक ही बात हैं। वैसे तो तू यात्रा को निकला है तो भगत ही माना जाएगा। फिर तू तो बड़ा ज्ञानी लगता है, इसलिए हमारी बाड़ी के, हमारे मोहल्ले के पिल्लों को भी कोई ज्ञानी गुरु मिल जाएँगे।’’ अपने बारे में ‘गुरु’ शब्द सुनते ही कौलेयक सोच में डूब गया। साधक में से मुमुक्षु भी बने बिना सीधे गुरु पद पाने की तीव्र इच्छा उसे हो आई। ‘ठीक है’ कहते हुए उसने बाड़ी में प्रवेश किया। कुछ पिल्ले उसे देखकर जरा गुर्राकर, फिर पूँछ हिलाते हुए नजदीक आ गए। उस किसान ने पिल्लों को लाइन में खड़े करके कौलेयक से पहचान कराते हुए कहा, ‘‘ये तुम्हारे गुरु हैं। चलो, इन्हें सब मिलकर प्रणाम तो करो।’’ बेचारे पिल्लों को, जो कभी नहीं किया था, वह करने का आदेश मिला तो क्या करना, यह न सूझने के कारण सब एक-दूसरे का मुझेहाँह ताकते रहे। —इसी पुस्तक से.

ISBN : 978-9352664269 ; Pages : 160 ; Prabhat Prakashan ; Hardcover

About the author :

वर्ष 1947 में जनमे ध्रुव भट्ट गुजराती के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में से एक हैं। उनकी अनेक साहित्यिक कृतियों में ‘समुद्रांतिके’, ‘तत्त्वमसि’, ‘अतरापि’, ‘अकूपर’ आदि बहुप्रशंसित हो चुकी हैं। अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित|

Author

Dhruv Bhatt

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