सुंदर मेरा घर – Sundar Mera Ghar
परिवारों को सुंदर, सुदृढ़,संस्कारयुक्त एवम् समस्यामुक्त बनाने के लिये सरल सूत्र Publisher : Kalpataru ; Paperback …
भारतीय शिक्षा दृष्टि Bharatiya Shiksha Drishti
इस पुस्तक में वर्ष 2010 से 2020 तक के डॉ. मोहन भागवत जी के विभिन्न उद्बोधनों का संग्रह है, जो भारतीय दृष्टि के आधार पर शिक्षा के महत्व को दर्शाता है। यह पुस्तक राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की भूमिका और वर्तमान परिस्थितियों पर विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
रामायण का अनावरण Ramayan ka anavaran
रामायण का अनावरण Ramayan ka anavaran
रामायण अनरेवलड में कुछ प्रमुख चिंताओं को संबोधित करने का प्रयास किया गया है: उनके बचपन और युवावस्था ने राम को कैसे आकार दिया? राम वनवास पर जाने के लिए क्यों सहमत हुए – क्या यह केवल अपने पिता की आज्ञा मानने के लिए था या इसमें कुछ और भी था? राम और सीता का रिश्ता कैसा था? सीता, शूर्पणखा, कैकेयी और तारा के चरित्र-चित्रण को ध्यान में रखते हुए, क्या रामायण स्वाभाविक रूप से स्त्री-द्वेषपूर्ण है?
राम के पथ पर – रामायण के संग संग Ram ke pathpar
राम के पथ पर – रामायण के संग संग Ram ke pathpar
यह अद्भुत पुस्तक, इस रोचक यात्रा के माध्यम से, पाठकों को एक बार और रामायण से जुड़ने और उसे जानने के लिए प्रेरित करेगी और भारत के सांस्कृतिक इतिहास को समझने में सहायक सिद्ध होगी।
राम फिर लौटे Ram Phir Laute
राम फिर लौटे Ram Phir Laute
अयोध्या के राममंदिर ने राम और भारतीयता के गहरे अंतसंबंधों को समझने का नया गवाक्ष खोला है। ‘राम फिर लौटे’ इसी गवाक्ष से रामतत्त्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता तो नए संदर्भों में देखती है।
मंदिर भव्य बनायेंगे Mandir Bhavya Banayenge
भारतीय संस्कृति और मानवता का पर्याय : श्रीराम समस्त भारतवासियों के राष्ट्रीय महापुरुष श्रीराम की जन्मभूमि …
कोदंड रामकथा – Kodand Ramkatha
कोदंड रामकथा – Kodand Ramkatha
वाल्मीकि रामायण आज भी सबसे प्रामाणिक और तथ्यपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक उसी ग्रंथ के कुछ मोतियों को सुरुचिपूर्ण ढंग से कथारूप में पिरोकर प्रकट करती है। इस पुस्तक की भाषा संगीत की तरह लयबद्ध है जिसमें पाठक डूब सा जाता है।
परिवार प्रबोधन parivaar prabodhan
हिन्दू संस्कृति सनातन है। सनातन का अर्थ है ‘शाश्वत’। वह चिर पुरातन होते हुए नित्य नूतन भी है। अपनी संस्कृति के इस अनोखे सामर्थ्य के अनेक कारण हैं। उन कारणों में से एक है हमारा हिन्दू परिवार, हमारी हिन्दू कुटुम्ब व्यवस्था। हिन्दू परिवार में भौतिक अवश्यकताएँ पूर्ण होती हैं, परस्पर सम्बन्ध दृढ़ होता रहता है। इसके साथ-साथ एक व्यक्ति को जो करना ही है, ऐसे ‘पुण्य’ विषयों के बारे में श्रद्धा निर्माण होती है और जो नहीं करना है, ऐसे ‘पाप’ विषयों के बारे में भी बोध होता है। इस कारण व्यक्ति सक्षम बनकर समाज को शक्ति प्रदान करता है।
काशी तमिलगम – एक पारंपरिक संबंद
यह पुस्तक लोगों को उन संबंधों के साथ प्रस्तुत करने का एक प्रयास है जो उनके विचारों को एक उच्च तल पर ले जाएंगे, उन्हें प्रेरित करेंगे और उन्हें एक अच्छी तरह से जुड़े हुए, पूर्ण भारतीय, एक सच्चे भारतीय के रूप में अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।
सौराष्ट्र तमिलगम – सहस्राब्दियों से संबंध
तमिलगम की परतों में एक अद्भुत सौराष्ट्रिय समुदाय है। एक रेशम बुनने वाला समुदाय, जिसने स्वयं …
पर्यावरण प्रेमी हिंदू दृष्टि paryavaran premi hindu drishti
नष्ट होते पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण को लेकर आज संपूर्ण संसार सर्वाधिक चिन्तित है। स्वाभाविक रीति …
वैदिक राष्ट्र रिचाये Vaidik rashtra richaye
पाश्चात्य विद्वान् प्रचार करते आए हैं कि प्राचीन आर्य राष्ट्रीयता की अवधारणा से अवगत न थे, …
भारतीय संस्कृति का विश्व संचार Bharatiya Sanskriti ka vishwa sanchaar
भारतीय संस्कृति का विश्व संचार Bharatiya Sanskriti ka vishwa sanchaar
पंच यज्ञ से परम वैभव Pancha Yagna Se Param Vaibhav
यह यज्ञ-परम्परा वास्तव में कर्तव्य कर्म के रूप में प्रारम्भ हुई। भगवान् कृष्ण ने इसे बहुत अच्छे प्रकार से भगवद्गीता में समझाया है। भगवान् उसमें वर्णन करते हैं कि सारी दुनिया क्या है, कैसे बनी तो भगवान् कहते हैं कि “सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः”। यानी भिन्न-भिन्न मानव समूह जो उत्पन्न हुए, तो सहयज्ञाः प्रजा सृष्ट्वा हर एक अपने-अपने कर्तव्य कमों के साथ में यह प्रजा है। इसलिए हर एक के अपने-अपने कर्तव्य कर्म को यज्ञ के रूप में कहा गया है !
विश्व सभ्यताओं का जनक : भारत Vishwa sabhyataon ka janak Bharat
विश्व सभ्यताओं का जनक : भारत Vishwa sabhyataon ka janak Bharat
इस पुस्तक में आर्यावर्त में ही सृष्टि के प्रथम में मनुष्य उत्पत्ति, वेद ज्ञान का प्रकाश, वैवस्वत मन्वन्तर में मनुष्य सृष्टि का विस्तार, वैदिक ग्रन्थों में वर्ण व्यवस्था वास्तविक स्वरूप भी स्पष्ट करने की कोशिश की है, ताकि मुख्य विषय को ठीक प्रकार से समझा जा सके व भ्रान्त धारणाओं का खंडन हो सके। इस पुस्तक के माध्यम से आर्य, द्रविड अथवा विदेशी और मूल आर्य निवासी की निराधार भ्रान्त धारणाओं का जो कुछ लोग अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए व देश को पुनः विभाजित करने के लिए प्रचार कर रहे हैं उनका भी पूर्णतया खंडन होगा।
भारत एकात्मतास्तोत्र : एक व्याख्या ( सचित्र ) Hindi – Bharat Ekatmatastotra
33 श्लोकों में भारत माता की स्तुति जिसमे, भारत की पवित्र नदियां, पर्वत, क्षेत्र आदि के साथ अनेक महानुभावों का संक्षिप्त परिचय।
सुधा वाणी सुधी वाणी Sudha Vani-Sudhi Vani
सुधा वाणी सुधी वाणी Sudha Vani-Sudhi Vani
यह संकलन संस्कारों के ज्ञान-यज्ञ की अग्निशिखा के प्रज्वलन की प्रारंभिक आहुति है। सत्यनिष्ठा, राष्ट्रभक्ति, परिवार-निष्ठा, वृद्ध व असहाय जनों के प्रति कर्तव्य, प्रेरणा, तथा प्रकृति, सृष्टि व समष्टि से एकात्मता के प्रेरक, उच्च आदर्शों, नैतिकता एवं उच्च जीवन-मूल्यों के संवाहक ये सुभाषित, हमारे इतिहास, संस्कृति, प्राचीन वाङ्मय तथा महापुरुषों के प्रति निष्ठा का संवर्धन करेंगे।
हमारा सांस्कृतिक चिंतन hamara sanskritik chintan
हमारा सांस्कृतिक चिंतन hamara sanskritik chintan
लोकदेवता श्री हनुमान Lokdevata Shree Hanuman
हनुमच्चरित्र पर केन्द्रित इस शोध-ग्रन्थ में साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं धार्मिक इतिहास से सम्बद्ध तिथिक्रम के निर्धारण के लिए प्रचुर सामग्री सुलभ हुई है। अतएव, डॉ० मागध का यह ग्रन्थ तात्त्विक शोध (‘फण्डामेण्टल रिसर्च’) की दृष्टि से भी अपना विशिष्ट मूल्य आयत्त करता है।
जीवन मूल्य – Jeevan Mulya – Set of 3 Books ( Hindi )
जीवन मूल्य – ३ पुस्तकों का संच
व्यक्तिगत विकास एवं राष्ट्रोथान हेतु आवश्यक गुणों का सरल विवेचन