भारतीय मुसलमानों के हिन्दू पूर्वज Bharatiya Musalmano Ke Hindu Purvaj
आदि देव आर्य देवता Aadi Dev Arya Devata
आदि देव आर्य देवता Aadi Dev Arya Devata
इस अध्ययन में प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों की खोजों को मिलाकर संयुक्त रूप से यह बताने का प्रयास किया है कि जनजातीय समाज हिंदू सभ्यता की कुंजी और आधार है।
नेताजी रहस्य गाथा Netaji Rahasya Gaatha
नेताजी रहस्य गाथा Netaji Rahasya Gaatha
यह पुस्तक में देश-विदेश से तमाम दुर्लभ जानकारियां प्राप्त की गई हैं, जिनमें कई गोपनीय दस्तावेज भी शामिल हैं। नेताजी से जुड़े रहस्य को जानने और नेहरू से मोदी युग तक के राजनीतिक पहलू को समझने के लिए इस पुस्तक का कोई बेहतर नहीं है।
विनाशपर्व Vinashparv : आंग्रेज़ों का भारत पर राज
विनाशपर्व Vinashparv : आंग्रेज़ों का भारत पर राज
अंग्रेजों की क्रूरता, बर्बरता, निर्मगता और भारतीयों पर किए हुए उनके अन्याय व अत्याचार के साथ ही अंग्रेजों द्वारा भारत की लूट का तथ्यपूर्ण विवरण इस पुस्तक में संकलित हैं। साथ ही अंग्रेजों के आने के पहले भारत की स्थिति क्या ची, अंग्रेजों ने कैसे भारत की जमी-जमाई व्यवस्थाओं को छिन्न-भिन्न किया और इनके जाने के बाद भारत की स्थिति क्या रही इस पर विस्तार से प्रकाश डालनेवाली यह पुस्तक अपनी सहज-सरल प्रस्तुति तथा प्रवाहपूर्ण भाषा-शैली के बलते नई पीढ़ी को अपनी ओर अवश्य आकर्षित करेगी।
शुद्धि आंदोलन का संक्षिप्त इतिहास shuddhi aandolan
अपने बिछुड़े हुए बंधुओं को आत्मसात करने के प्रयास ऋषियों, साधु-संतों, राजा महाराजाओं, धार्मिक-सामाजिक-राजनीतिक नेताओं और सामान्य लोगों ने किए। सन् 1947 को राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्ति भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण पड़ाव था। सैकड़ों वर्षों के इस कालावधि में हुए शुद्धिकरण के प्रयासों की तथ्यपरक जानकारी इस पुस्तक में संक्षेप में दी गई है।
विभाजनकालीन भारत के साक्षी 4 Vols Vibhajan Kaaleen Bharat Ke Saakshi
विभाजनकालीन भारत के साक्षी 4 Vols Vibhajan Kaaleen Bharat Ke Saakshi
विभाजन का काल विभिन्न अवस्थाओं से गुजरा हैं। इन सभी अवस्थाओं का ज्ञान आज की पीड़ी को होना ही चाहिए। यह ज्ञान उन बुजर्गो के पास ही था जो उस काल के साक्षी थे। उन्होंने अपने साक्षियों के द्वारे ही यहाँ ज्ञान देने का प्रयत्न किया हैं -विभाजनकालीन भारत के साक्षी ग्रन्थ में। यह ग्रन्थ ( 4 volumes ) अत्यंत जानकारी पूर्ण थो हैं ही साथ साथ रोचक भी है।
मुस्लिम आक्रमण का हिन्दू प्रतिरोध Muslim akraman ka hindu pratirodh
मुस्लिम आक्रमण का हिन्दू प्रतिरोध Muslim akraman ka hindu pratirodh
एक सहस्र वर्ष के संघर्ष की विजय गाथा
ज्योति जला निज की Jyoti Jala Nij Pran Ki
ज्योति जला निज की Jyoti Jala Nij Pran Ki
About : भारत विभाजन के समय संघ ( आरएसएस ) के स्वयंसेवकों द्वारा निभायी गयी तेजस्वी …
वे पंद्रह दिन Ve Pandrah Din
वे पंद्रह दिन Ve Pandrah Din
स्वतंत्रता प्राप्ति 15 अगस्त, 1947 से पहले के पंद्रह दिनों के घटनाक्रम और अनजाने तथ्यों से परिचित करानेवाली पठनीय पुस्तक।
हिंदू-पदपादशाही Hindu Padpaadshaahi
हिंदू-पदपादशाही Hindu Padpaadshaahi
शिवाजी महाराज की कलम से उतरे ‘हिंदवी-स्वराज’—इस शब्द मात्र से एक शताब्दी से भी अधिक समय तक जिस बेचैनी से महाराष्ट्र का जीवन तथा कर्तव्य निर्देशित हुआ और उसका आत्मस्वरूप जिस तरह से प्रकट हुआ, वैसा किसी अन्य से संभव नहीं था। मराठों की लड़ाई आरंभ से ही वैयक्तिक या विशिष्ट वर्ग की सीमित लड़ाई नहीं थी। हिंदूधर्म की रक्षा हेतु, विदेशी मुसलिम सत्ता का नामोनिशान मिटाने के लिए तथा स्वतंत्र और समर्थ हिंदवी-स्वराज्य स्थापित करने के लिए लड़ी गई वह संपूर्ण लड़ाई हिंदू लड़ाई थी।
..और देश बट गया Aur Desh Bat Gaya
..और देश बट गया Aur Desh Bat Gaya
जागरूक, अध्ययनशील और विचारवान् राष्ट्रसेवी व लेखक श्री हो. वे. शेषाद्रि ने इस पुस्तक में देश की इस त्रासदी का गहन अध्ययन व आकलन के आधार पर तथ्यपरक एवं यथार्थ विवेचन प्रस्तुत किया है।
भारत में इस्लामी साम्राज्यवाद की कहानी Bharat mein Islami Samrajyavad ki kahani
भारत में इस्लामी साम्राज्यवाद की कहानी Bharat mein Islami Samrajyavad ki kahani
ये पुस्तक श्री सीताराम गोयल जी द्वारा रचित The story of Islamic imperialism in India का हिंदी अनुवाद है
ईसाइयत सिद्धांत एवं स्वरुप Isayiyat
Author : Dr. Shreerang Godbole ; “ईसाइयत” यह शब्द ईसा मसीह और उसके प्रेरितों या मूलशिष्यों …
हिन्दू विजय युग प्रवर्तक -Hindu Vijay Yug Pravartak
बाजी प्रभु’ नाम से उमड़ आये योगी अरविंद के काव्य-प्रतिभा को भी छत्रपति शिवाजी का स्मरण ही प्रेरणाप्रद बना था। अरविन्द की काव्य प्रतिभा और कविवर रविन्द्रनाथ टैगौर की भावपूर्ण रसधारा के लिए भी छत्रपति शिवाजी का स्मरण प्रेरणा स्रोत बना
आधुनिक भारत के स्वातंत्र्य सेनानी सुभाषचंद्र बोस ने भी स्वातंत्र्य युद्ध छेड़ने के लिए भारत से बाहर जाने के पूर्व अपने मित्र विजयरत्न मजुमदार के साथ अपना मनोगत खोलकर बताया, “भारत के स्वातंत्र्य समर के लिए एकमात्र आदर्श के रूप में आज हमें शिवाजी का ही स्मरण करना चाहिए!” स्वातंत्र्यवीर सावरकर ‘अभिनव भारत’ – इस क्रांतिकारी संगठन के सदस्यों को शिवाजी के भावचित्र के सामने ही खड़े कर शपथ-प्रदान कराते थे। लोकमान्य तिलक ने सामान्य जनता के हृदय में स्वातंत्र्य की ज्योति प्रज्ज्वलित करने हेतु शिवाजी उत्सव प्रचलित किया।