श्री गुरुजी : जीवन यज्ञ Shree Guruji -Jeevan Yagya
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के व्दितीय सरसंघचालक परमपूजनीय श्री माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य गुरुजी का यह एक सरल तथा प्रसंगवर्णनात्मक जीवन चरित्र है। यह विशेषरूप से बालकों के लिये तथा किशोरों के लिये लिखा गया है।
डॉ. हेडगेवार :संघ मंत्र के उद्गाता : Dr Hedgewar Sangh mantra ke udgaata
बहुत सुबोध और रोचक ढंग से डा. हेडगेवारजी के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंग यहां चित्रित किये गये हैं। यह जितनी मनोरंजक है, उतनी ही उद्बोधक भी।
मैं हिन्दू कैसे बना: एक बौद्धिक आत्मकथा main Hindu Kaise Bana
ये पुस्तक श्री सीताराम गोयल जी की ” How I Became a Hindu ” का हिन्दी भाषांतर है ।
हिन्दू राष्ट्र स्वप्नद्रष्टा बंदा वीर बैरागी Banda Veer Bairagi (Hindi)
एक समय जब मुगलों की तलवार भारतीय संस्कृति को चीर रही थी, लोगों के जनेऊ उतारे जा रहे थे, चोटियाँ काटी जा रही थीं, सिरों को काटकर मीनारें बनाई जा रही थीं, बलपूर्वक हजारों-लाखों का धर्मभ्रष्ट किया जा रहा था, अनाथ बच्चे बिलख रहे थे, गौमाता मारी जा रही थी, मंदिर ध्वस्त हो रहे थे, किसान आत्महत्या कर रहे थे, उस समय गुरु गोविंद सिंहजी के आह्वान पर इस वीर महापुरुष ने भक्ति का मार्ग छोड़कर शक्ति का मार्ग अपनाया। योगी योद्धा बन गया, संत सिपाही बन गया; माला को फेंक भाला उठा लिया और सेना खड़ी कर अन्याय-अत्याचार का प्रतिकार करके अपने राज्य की स्थापना की
रामप्रसाद बिस्मिल आत्मकथा Ramprasad Bismil Atmakatha
रामप्रसाद बिस्मिल आत्मकथा Ramprasad Bismil Atmakatha
क्रांतिकारियों के शिरमौर पं. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ ने फाँसी से पूर्व जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी।
देश के लिए कुर्बान Desh ke liye kurbaan
देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान हुए अनेक वीरों की माला इस पुस्तक में हैं
लोहित के मानसपुत्र : शंकरदेव Lohit ke manasputra Shankardev
लोहित के मानसपुत्र : शंकरदेव Lohit ke manasputra Shankardev
हिन्दी जगत में श्रीमन्त शंकरदेव को परिचित कराने में श्रीसांवरमल सांगानेारिया द्वारा लिखित उपन्यासोसम रोचक, विस्तृत सूचनाओं से समृद्ध यह ग्रन्थ “लोहित के मानसपुत्र : शंकरदेव” महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करने में पूर्णत: सक्षम है। इसके पहले भी असम में ही पले-पढ़े श्रीसांगानेारिया डांगरिया (महोदय) ने पूर्वोत्तर पर साहित्य रचनाएँ कर हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ अपनी जन्मभूमि असम की कीर्ति को भारतीय जनमानस तक पहुँचाने क स्तुत्य कार्य किया है।
श्री बालासाहेब देवरस Sri Balasaheb Deoras
About : Translated into Hindi from the Marathi original बालासाहब देवरसजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे …
भारत भारती पुस्तकमाला १३५ पुस्तकें Hindi Bharata Bharati
भारत भारती पुस्तकमाला १३५ पुस्तकें Hindi Bharata Bharati
अगली पीढ़ी को चरित्रवान कर्त्रुत्वान बनाने हेतु प्रस्तुत है यह 135 वीरपुरुष, वीरांगनाएं , सामाजिक कार्यकर्ता के जीवन पर छोटी पुस्तकों की माला
पांडवप्रिया पाञ्चाली Pandavpriya Panchaali
About the Book : The story of Draupadi , the beloved wife of the Pandavas written …
परम वीर चक्र Param Vir Chakra
Maj. General Ian Cardazo About the Book : यह गोलियों का सामना करनेवाले साहसी वीरों, विपरीत …
5 सरसंघचालक Sarsanghchalak
5 सरसंघचालक Sarsanghchalak
About the Book : विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में आरंभ …
श्री गुरु नानक देवजी- Sri Guru Nanak Dev ji ( Hindi )
श्री गुरु नानक देवजी- Sri Guru Nanak Dev ji ( Hindi )
इस पुस्तक में लेखक ने यही करने का प्रयास किया है। नानक देवजी को समझने-बूझने के लिए, उस कालखंड की सभी परतों को उन्होंने एक-एक कर अनावृत्त किया है। यह पुस्तक किसी एक ढर्रे से बँधी हुई नहीं है, बल्कि नानक देवजी के विविधपक्षीय जीवन के ताजा स्नैप्स हैं। इसलिए इस अध्ययन में एक ताजगी है;
शक्तिपुत्र शिवाजी – Shaktiputra Shivaji
ISBN : 9788185990408 ; Pages : 188 ; Publisher : Voice of India ; Language ; …
हिन्दू विजय युग प्रवर्तक -Hindu Vijay Yug Pravartak
बाजी प्रभु’ नाम से उमड़ आये योगी अरविंद के काव्य-प्रतिभा को भी छत्रपति शिवाजी का स्मरण ही प्रेरणाप्रद बना था। अरविन्द की काव्य प्रतिभा और कविवर रविन्द्रनाथ टैगौर की भावपूर्ण रसधारा के लिए भी छत्रपति शिवाजी का स्मरण प्रेरणा स्रोत बना
आधुनिक भारत के स्वातंत्र्य सेनानी सुभाषचंद्र बोस ने भी स्वातंत्र्य युद्ध छेड़ने के लिए भारत से बाहर जाने के पूर्व अपने मित्र विजयरत्न मजुमदार के साथ अपना मनोगत खोलकर बताया, “भारत के स्वातंत्र्य समर के लिए एकमात्र आदर्श के रूप में आज हमें शिवाजी का ही स्मरण करना चाहिए!” स्वातंत्र्यवीर सावरकर ‘अभिनव भारत’ – इस क्रांतिकारी संगठन के सदस्यों को शिवाजी के भावचित्र के सामने ही खड़े कर शपथ-प्रदान कराते थे। लोकमान्य तिलक ने सामान्य जनता के हृदय में स्वातंत्र्य की ज्योति प्रज्ज्वलित करने हेतु शिवाजी उत्सव प्रचलित किया।
प्रोफेसर राजेंद्र सिंह की जीवन यात्रा Prof Rajendra Singh Ki Jeevan yatra
Biography of Prof Rajendra Singh ji , the 4th Sarsanghchalak of the Rashtriya Swayamsevak Sangh