
हिन्दू ईशॉप अद्यतन : फाल्गुन मास
- February 25, 2023
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हिन्दू ईशॉप अपडेट
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती इस माह में है।
आप सबको शुभकामनाएं
हिन्दू ईशॉप पर नए पुस्तकें
ख़िलाफ़त आंदोलन
ख़िलाफ़त आंदोलन (1919-1924) भारत के मुस्लिमों के बीच ओटोमन तुर्की साम्राज्य के पतन और प्रथम विश्व युद्ध के समापन चरणों के दौरान तुर्की ख़लीफ़ा के लिए खतरे को संदर्भित करता है। इस्लाम के दीनी ग्रंथों का आधार और ऐतिहासिक उदाहरणों के बल पर खिलाफत आंदोलन एक देशव्यापी अखिल इस्लामी आंदोलन बन गया। हालाँकि सौ साल बीत चुके हैं, लेकिन इसके सेटीक स्वरूप और महत्त्व के बारे में कई भ्रांतियाँ हैं। खिलाफत आंदोलन को चलाने वाला विचार आज भी जीवित है। यह जो सबक प्रदान करता है, उसे केवल जोखिम पर ही अनदेखा किया जा सकता है।
लेखक, डॉ. श्रीरंग गोडबोले इस्लाम और इस्लामी इतिहास के अध्येता हैं। उन्होंने खिलाफत आंदोलन के आसपास के झूठे विमर्श को दूर किया है और उसके असली रंग को उजागर कर दिया है।
महान भारतीय वैज्ञानिक
आप के लिए कुछ पुस्तकें
छत्रपति शिवाजी महाराज – वॉल हैंगिंग लैमिनेट
फाल्गुन बहुला तृतीया (मार्च 10,2023) भारत के वीर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्यगाथा इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। शिवाजी महाराज की वीरता की मिसाल महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में दी जाती है और गर्व व ऊर्जा के साथ उनका नाम लिया जाता है।
हमारा राष्ट्र को मुगलों के चंगुल से बचाने और इसे मजबूत बनाने के लिए शिवाजी महाराज ने हिन्दू स्वराज्य की स्थापना की नींव रखी। शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर आइए उनकी तस्वीर हर घर में लगाएं।
छत्रपति शिवाजी महाराज वॉल हैंगिंग लैमिनेट भगवा ध्वज और समर्थ रामदास स्वामी के आशीर्वाद के साथ (पृष्ठभूमि में)। शिवाजी भारत में हिंदू पुनरुत्थान की प्रेरणा के स्रोत हैं। घर पर उनकी तस्वीर बच्चों को राष्ट्र और धर्म के लिए जीने के लिए प्रेरित करती है।
श्री गुरुजी दृष्टि और दर्शन
पू. श्री गुरुजी के ये विचार मात्र शब्द नहीं है। यह उनके जीवन की दृष्टि है, वह शाश्वत, सनातन दर्शन है जिसको उन्होंने अपनी जीवन तपस्या से विश्वभर में प्रवर्तित व परावर्तित किया। अतएव इसका प्रत्येक अक्षर मनुष्य के जीवन में ध्येय दृष्टि, दिव्य जीवन की प्रेरणा व स्फूर्ति भरने का अतीव सामर्थ्य रखता है।
पुण्यभूमि भारत
प्रत्येक भारतीय को यह देश प्राणों से प्यारा है। क्योंकि इसका कण-कण पवित्र है। इस भूमि पर पग-पग में उत्सर्ग और शौर्य का इतिहास अंकित है। श्री गुरुजी गोलवलकर उसकी साक्षात् जगज्जननी के रूप में उपासना करते थे। स्वामी विवेकानन्द ने श्रीपाद शिला पर इसका जगन्माता के रूप में साक्षात्कार किया। वह भारत माता हमारी आराध्या है। उसके स्वरूप का वर्णन वाणी व लेखनी द्वारा असंभव है, फिर भी माता के पुत्र के नाते उसके भव्य-दिव्य स्वरूप का अधिकाधिक ज्ञान हमें प्राप्त करना चाहिए।
कैलास से कन्याकुमारी, अटक से कटक तक विस्तृत इस महान् भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों व धार्मिक स्थानों का वर्णन यहाँ दिया जा रहा है ।
सिख गुरु गाथा
भारत की सामाजिक एकता, उत्थान तथा राष्ट्रीय निर्माण में सिख गुरुओं का अमूल्य योगदान रहा है। प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव से लेकर दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह तक सभी दस गुरुओं का जीवनकाल कुल 239 वर्षों का रहा। इस दौरान सिख गुरुओं ने पंजाब तथा पंजाब से बाहर व्यापक भ्रमण किया और अपने उपदेश तथा व्यावहारिक जीवन द्वारा समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर उसकी दशा और दिशा ही बदल दी। राष्ट्र के गौरव और धर्म की रक्षा का प्रश्न आया तो छठे एवं दसवें गुरुओं ने न केवल शस्त्र धारण किए और अत्याचारी हुकूमत के खिलाफ धर्मयुद्ध लड़े बल्कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटे।
प्रस्तुत कृति ‘सिख गुरु गाथा’ सिख गुरुओं के त्याग तपस्यामय, बलिदानी, आदर्श व प्रेरक जीवन पर प्रकाश डालने के साथ ही उनका संपूर्ण जीवन-वृत्त प्रस्तुत करती है।