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शिवाजी व सुराज – Shivaji & Suraj ( Hindi )

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Description

हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्‍वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्‍टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्‍ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो।

बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे

” * राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्‍चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्‍तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्‍‍त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके। ”

ISBN :  9789350481790 ; Pages 264; HardBack. ; Prabhat Prakashan.
About the Author :

बड़नगर, उज्जैन में 1956 ई. विजयादशमी को जन्म। प्रारंभिक शिक्षा रेलवे में कार्यरत पिता के साथ गुजरात के विभिन्न अंचलों में। 1964 से रा.स्व. संघ के स्वयंसेवक। अनंतर इंदौर के गुजराती कॉलेज से एम.कॉम.। छात्र संघ अध्यक्ष। ग्राम्य अर्थव्यवस्था व प्रबंधन में विशेषज्ञता। शौकिया पायलट। कुछ आजमाइश नौकरी व उद्योग-धंधों में।
जन अभियान परिषद् (स्वयंसेवी संगठनों के दर्शन और व्यवहार को क्रियारूप देने का प्रयास करनेवाली म.प्र. की संस्था) के रचनाकार। नर्मदा समग्र के संस्थापक। पर्यावरणविद्। स्फुट सामयिक निबंध व कविताएँ प्रकाशित। भारतीय लोक व शिष्ट परंपरा के अध्येता। मासिक ‘चरैवेति’ के पूर्व संपादक। संप्रति राज्यसभा सांसद।

 

Author

Anil Madhav Dave

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