विकास का नया प्रतिमान सुमंगलम Vikas ka naya prathimaan sumangalam

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Description

‘सुमंगलम्’ से तात्पर्य है मुख्यतः स्वसाधनों से देश के समस्त लोगों के जीवन-स्तर को दीर्घकाल में ऊपर उठाते हुए समग्र सामाजिक सुख में वृद्धि करना एवं सबके मंगल की दिशा में आगे बढ़ना।

सुमंगलम से आशय है अपने शाश्वत जीवन-मूल्यों के प्रकाश में: देश व समाज की प्रकृति-प्रवृत्ति, आशा-आकांक्षा, आवश्यकता  और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के संदर्भ में मुख्यतः अपने ही शक्ति-सामर्थ साधनसंपदाओं एवं कौशल प्रतिभाओं के बलबूते पर देश की कर्मशक्ति, ऊर्जा शक्ति के जागरण के माध्यम से धारणक्षम, पोषणक्षम, संस्कारक्षम, सर्वमंगलकारी, समतामूलक, संतुलित एवं सर्वतोमुखी विकास का दर्शन।

Author

DR.Bajranglal Gupta

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