Description
विक्रांत पांडे और नीलेश कुलकर्णी ने राम के चौदह वर्षों के वनवास पथ पर प्रवास का निर्णय तब लिया जब यह भारत के नक्शे पर चित्रकूट ढूंढ रहे थे और तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें तो पता ही नहीं था कि चित्रकूट असल में है कहाँ। इस घटना ने उनकी उत्सुकता बढ़ा दी और यह रामायण में वर्णित स्थलों की खोज में निकल पड़े। उनकी यह राम के पदचिन्हों की यात्रा अयोध्या में आरंभ हुई और दंडकारण्य के जंगलों से होती हुई पंचवटी (वर्तमान नासिक के निकट), किष्किंधा (हम्पी के निकट), रामेश्वरम और श्रीलंका तक गई।
यात्रा के दौरान उन्हें इस बात का अनुभव हुआ कि रामायण की गाथा का स्थानीय लोक गाथाओं, किस्सों और मान्यताओं से कितना गहरा संबंध है। उन्होंने देखा कि इस महाकाव्य की कथावस्तु की नैतिक और धार्मिक सीण भारतवासियों को एक सूत्र में बांध रखती है। आज, हजारों वर्षों बाद भी रामायण राम, सीता और लक्ष्मण की भूमि पर वास कर रहे लोगों के जीवन का अभिन्न अंग है।
यह अद्भुत पुस्तक, इस रोचक यात्रा के माध्यम से, पाठकों को एक बार और रामायण से जुड़ने और उसे जानने के लिए प्रेरित करेगी और भारत के सांस्कृतिक इतिहास को समझने में सहायक सिद्ध होगी।
Auhtor : Vikrant Pande ; Publisher : Harper
PaperBack ; Pages : 308 ; Translator: Subha Pande
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