परिवार प्रबोधन parivaar prabodhan

हिन्दू संस्कृति सनातन है। सनातन का अर्थ है ‘शाश्वत’। वह चिर पुरातन होते हुए नित्य नूतन भी है। अपनी संस्कृति के इस अनोखे सामर्थ्य के अनेक कारण हैं। उन कारणों में से एक है हमारा हिन्दू परिवार, हमारी हिन्दू कुटुम्ब व्यवस्था। हिन्दू परिवार में भौतिक अवश्यकताएँ पूर्ण होती हैं, परस्पर सम्बन्ध दृढ़ होता रहता है। इसके साथ-साथ एक व्यक्ति को जो करना ही है, ऐसे ‘पुण्य’ विषयों के बारे में श्रद्धा निर्माण होती है और जो नहीं करना है, ऐसे ‘पाप’ विषयों के बारे में भी बोध होता है। इस कारण व्यक्ति सक्षम बनकर समाज को शक्ति प्रदान करता है।

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पुस्तक संक्षिप्त परिचय : 

हिन्दू संस्कृति सनातन है। सनातन का अर्थ है ‘शाश्वत’। वह चिर पुरातन होते हुए नित्य नूतन भी है। अपनी संस्कृति के इस अनोखे सामर्थ्य के अनेक कारण हैं। उन कारणों में से एक है हमारा हिन्दू परिवार, हमारी हिन्दू कुटुम्ब व्यवस्था। हिन्दू परिवार में भौतिक अवश्यकताएँ पूर्ण होती हैं, परस्पर सम्बन्ध दृढ़ होता रहता है। इसके साथ-साथ एक व्यक्ति को जो करना ही है, ऐसे ‘पुण्य’ विषयों के बारे में श्रद्धा निर्माण होती है और जो नहीं करना है, ऐसे ‘पाप’ विषयों के बारे में भी बोध होता है। इस कारण व्यक्ति सक्षम बनकर समाज को शक्ति प्रदान करता है।

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