Description
About the book :
मतांतरण समस्या केवल किसी एक विशिष्ट जाति, जनजाति की नहीं है। यह समस्या पूरे भारतीय समाज की है। इस समस्या को सुलझाने के लिए सम्पूर्ण देश को सक्रिय बनाना आवश्यक है। इसलिए इसके समाधान के लिए इसे केवल एक विशिष्ट जाति या जनजाति को समस्या न मानते हुए राष्ट्र की समस्या मानकर इसका मुकाबला करने का मार्ग प्रशस्त करने की आवश्यकता है। इस कार्य में प्रत्येक की भूमिका है। जनसामान्य की भूमिका है। विशिष्ट अध्ययन करने वाले व्यक्तियों की भी भूमिका है। शासन का भी इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान हो सकता है। शासन जब ठोक भूमिका का निर्वाह कर इस प्रकार की गतिविधियों को रोकने का अपने ढंग से प्रयास करेगा तो बाकी सभी प्रयासों को अच्छा बल मिलेगा। यह प्रयास शासन पर आश्रित नहीं रहेगा, लेकिन शासन का सहयोग इसके लिए उपयोगी रहेगा।
अपने समाज की मूल धारा, मूल प्रवृत्ति और मूल शक्ति को बढ़ाने की दृष्टि से धर्म जागरण विभाग काम कर रहा है। इसी को आधार बनाकर यदि पूर्ण समाज इसके पीछे खड़ा रहेगा तो मुझे लगता है कि यह लड़ाई लड़ने में आसानी हो सकती
अपने देश में बाहर से आये ईसाईयत तथा इस्लाम के लोगों ने सब प्रकार का अत्याचार करते हुए अपने पंथ का प्रसार किया जिसके दौरान यहाँ के मूल समाज के अनेक लोगों को मतान्तरित भी किया गया। इसके बावजूद इस देश में भारत का मूल समाज लगभग 85 प्रतिशत बरकरार रहा है। यह तथ्य अपने सभी प्रयत्नों का सम्बत है, क्योंकि इस प्रकार के अत्याचारों में अनेक राष्ट्र नष्ट हो गए। लेकिन इतना सब प्रकार का आक्रमण होने के बाद भी आज अपने देश में भारत की मूल संस्कृति हिम्मत के साथ खड़ी है। इसकी जो पृष्ठभूमि है, इसका जो आधार है, वह यह कि सामान्य जन के मन में अपने इस धर्म के प्रति अपनी परम्पराओं के प्रति अपने महापुरुषों के प्रति आस्था निर्माण करने का अनेक सन्त-महन्तों ने प्रयास किया है। अनेक महापुरुषों ने अपने समाज को बरकरार रखने के लिए जो बलिदान दिए हैं, इसका यह परिणाम है।
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