Description
भारतवर्ष की धरती धन्य है और धन्य हैं वे सत्पुरुष, जिन्होंने राष्ट्रोत्थान को अपना जीवन- धर्म लक्ष्य बनाया और अनवरत राष्ट्रकार्य में लीन रहे। उन्होंने भारत के गौरवशाली अतीत को जीवंत रखा और सशाक्त-समर्थ भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए अपने जीवन को होम कर दिया।
‘राष्ट्र सर्वोपरि’ को जीवन का मूलमंत्र मानाननेवाले ऐसे हो तपस्वी मनीषियों का पुण्यस्मरण किया है स्वयं राष्ट्रसाधक ओ नरेंद्र मोदी ने इस पुष्पांजलि ज्योतिपुंज में।
- ISBN-13: 978-93-5186-593-3; HardBack : 268 pages ; Publisher: Prabhat Prakashan ; Language: Hindi;
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