जैसे थे वैसे चले आये – Genocide that was never told Hindi

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Description

बांग्ला हिंदुओं के जिहाद और उनके पलायन की कहानियां.

यह पुस्तक ऐसे समय में आई है जब देश में सीएए पर बहस छिड़ी हुई है और नागरिकता अधिनियम में संशोधन का विरोध करने वालों ने तीन पड़ोसी इस्लामी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों की पीड़ाओं की उपेक्षा करने का विकल्प चुना है। यह सामयिक कार्य बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न की अनकही कहानियाँ बयान करता है।

लेखकों ने कर्नाटक में रहने वाले इन शरणार्थियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की है और उनके उत्पीड़न, दुख और दुःख की कहानियों का वर्णन किया है। प्रत्येक अध्याय में जिहादियों के हाथों पीड़ित हुए हिंदुओं की दिल दहला देने वाली कहानी बताई गई है। जिन लोगों ने उन्हें पीड़ा दी और उन्हें निशाना बनाया उनमें से कुछ उनके पड़ोसी, कई वर्षों से परिचित और उसी इलाके या गांव के निवासी थे।
पीड़िता द्वारा बताई गई प्रत्येक कहानी दर्शाती है कि जिहादियों के हाथों उन्हें किस तरह की यातना सहनी पड़ी, जान-माल की हानि हुई और किन परिस्थितियों में उन्हें अपनी मातृभूमि छोड़कर भारत में शरण लेने का निर्णय लेना पड़ा। अपने गृहनगर से भारत में शरणार्थी शिविर तक की यात्रा के दौरान उन्हें जिस तरह का सामना करना पड़ा यहां उन्होंने जिन समस्याओं का सामना किया और जिस तरह से उन्होंने अपने
जीवन का पुनर्निर्माण किया, उसका मार्मिक वर्णन किया गया है।
Translation of the book : Genocide that was never told
Publisher: Ayodhya Publications

Author

Geervani

Rohith Chakrathirtha

Vinayaka Bhatta Muroor

Vrushanka Bhat Nivane

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