Description
पुस्तक परिचय :
बाजी प्रभु’ नाम से उमड़ आये योगी अरविंद के काव्य-प्रतिभा को भी छत्रपति शिवाजी का स्मरण ही प्रेरणाप्रद बना था। अरविन्द की काव्य प्रतिभा और कविवर रविन्द्रनाथ टैगौर की भावपूर्ण रसधारा के लिए भी छत्रपति शिवाजी का स्मरण प्रेरणा स्रोत बना
आधुनिक भारत के स्वातंत्र्य सेनानी सुभाषचंद्र बोस ने भी स्वातंत्र्य युद्ध छेड़ने के लिए भारत से बाहर जाने के पूर्व अपने मित्र विजयरत्न मजुमदार के साथ अपना मनोगत खोलकर बताया, “भारत के स्वातंत्र्य समर के लिए एकमात्र आदर्श के रूप में आज हमें शिवाजी का ही स्मरण करना चाहिए!” स्वातंत्र्यवीर सावरकर ‘अभिनव भारत’ – इस क्रांतिकारी संगठन के सदस्यों को शिवाजी के भावचित्र के सामने ही खड़े कर शपथ-प्रदान कराते थे। लोकमान्य तिलक ने सामान्य जनता के हृदय में स्वातंत्र्य की ज्योति प्रज्ज्वलित करने हेतु शिवाजी उत्सव प्रचलित किया।
About the Author :
इस पुस्तक को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और पूर्व सरकार्यवाह रहे श्री हो. वे . शेषाद्री जी ने लिखा । शेषाद्री जी को १९८२ में कर्णाटक साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
- ISBN 978-8189622947; Paperback 321 pages, Suruchi Prakashan
Ashutosh Khandelwal – :
छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व की सुगंध तथा अस्त प्राय: स्वातंत्र्य
सूर्य के कालखंड में अपने पौरुष पराक्रम से संघर्ष करने वाले, अत्यंत यशोवंत, नीतिज्ञ राष्ट्र पुरुष शिवाजी महाराज, संघर्ष -युग के विजय के प्रतीक, विजय-युग के प्रवर्तक थे।
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