Description
संघ के जन्मदाता डॉ. हेडगेवार जी ने उस समय के अपने साथी कार्यकर्ताओं तथा समाज के श्रेष्ठ लोगों के साथ चर्चा-वार्ता करते हुए कार्यकर्ताओं को निरंतर प्रेरणा और समयानुकूल दिशा देने की दृष्टि से प्रार्थना और प्रतिज्ञा को संघ में अत्यन्त श्रद्धा पूर्वक स्थापित किया। संघ की शाखा पर प्रतिदिन बोली जाने वाली प्रार्थना ने आज एक विलक्षण सम्मान का स्थान प्राप्त किया है। श्रद्धा से कही जाने वाली प्रार्थना के प्रति एक ऐसा सम्मान और विश्वास बना कि प्रार्थना प्रतिदिन होनी चाहिए यह एक स्वाभाविक आग्रह स्वयंसेवकों के मन से बहुत ही गहरा स्थित हो गया। नित्य की प्रार्थना का संस्कार विलक्षण निकला।
Suruchi Prakashan ; Paperback ; Pages: 64
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