Description
About the book :
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के व्दितीय सरसंघचालक परमपूजनीय श्री माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य गुरुजी का यह एक सरल तथा प्रसंगवर्णनात्मक जीवन चरित्र है। यह विशेषरूप से बालकों के लिये तथा किशोरों के लिये लिखा गया है।
आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम देशभर में फैला हुआ है और उसका नाम दुनियाभर में गुंज रहा है। उस विस्तार का अधिकतम श्रेय श्री गुरुजी के नेतृत्व को है। उनका जीवन त्यागमय तथा तपस्यामय था। वे बुद्धिमान थे, अध्यात्मज्ञानी थे तथा व्यवहारकुशल भी थे। वे मूलग्राही विचारक थे और प्रभावशाली वक्ता थे। ये कठोर ध्येयवादी थे परंतु बोलचाल तथा व्यवहार में मृदु एवम् नम्र थे। इस प्रकार से • आधुनिक काल के एक असामान्य महापुरुष थे।
• इस महान देशसेवक का जीवन चरित्र बाल, किशोर तथा नवयुवक सुगमता से पढ़ें, उसके महत्त्वपूर्ण प्रसंगों को वे ध्यान में रखें, उनका चिंतन करें, उसी ढंग से दे स्वयं का जीवन सुविकसित तथा सद्गुणसंपन्न करे और अपना जीवनपुष्प भारतमाता के चरणों में चढ़ाने की इच्छा उनमें जगे, इस हेतु को हृदय में लेकर प्रस्तुत लेखन प्रयास किया गया है। मैं आशा करता हूं कि आबालवृद्ध पाठकों को वह ठीक लगेगा।
Shri Bharati Prakashan ; Paperback; Hindi
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