Description
गुरु तेग बहादुर जी ने न तो स्थिति से पलायन किया, न चिन्तन-मनन के लिये अवकाश मांगा और न ही कोई अन्य पेचीदा मार्ग सुझाया, बल्कि धार्मिक, वैचारिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर घोर संकट का अनुमान कर, समय व्यर्थ किए खुलेआम अन्याय और अत्याचार की अग्नि में अपनी आहूति देने का निर्णय ले लिया!
Publisher Suruchi
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