Sale!

ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार : Isavaad aur Purvottar Bharat Ka Sanskritik Sanhar

प्राकृतिक सुषमा से परिपूरित पूर्वोत्तर के लोग अनंतकाल से अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक मान्यताओं के साथ तुष्ट जीवन जीते आ रहे थे। परंतु लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अंग्रेजी सरकार के षड्यंत्र से ईसावादियों का इस प्रशांत क्षेत्र पर आक्रमण हुआ, जिसने वहाँ की सभ्यता व संस्कृति का निर्ममतापूर्वक संहार किया। आज वहाँ के लोग कहीं के नहीं हैं। न तो वे अपने रहे और न भारत के। ईसावादियों ने योजनाबद्ध पद्धति से उन्हें शेष भारत से काट कर भारत विरोधी बना दिया। वैश्विक संस्कृति संहारक ईसावाद का यह वास्तविक रूप है, जिसका दंश सरल हृदय पूर्वोत्तरवासियों ने झेला है। यदि इस पापाचार को रोका न गया, तो समस्त भारतवर्ष का सांस्कृतिक विनाश हो जाएगा। इस पूरे विनाशकारी दौर का आरम्भ कब और कैसे हुआ ? पूर्वोत्तर के समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?  यह पुस्तक इन सभी आयामों पर शोध-परक प्रकाश डालती है

Original price was: ₹349.00.Current price is: ₹319.00.

1 in stock

Compare

Description

पुस्तक परिचय :

भारत में ईसावाद का अकबर के दरबार से प्रारम्भ, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उसकी भूमिकाऔर फिर आगे चलते हुए पूर्वोत्तर के सभी सातों राज्यों में धीरे-धीरे ईसावाद का प्रवेश और उसका समाज और संस्कृति पर विध्वंसक प्रभावलेखक ने एक भारत में ईसावाद की यात्रा का एक व्यापक वृत्त खींचा है। साथ ही पुस्तक ये भी प्रश्न उठाती है कि क्या हमारे संविधान के तहत अल्पसंख्यकों को दिए गए विशेष अधिकारों का दुरुप्योग नहीं हो रहा हैया फिर ये मान्यता कि संविधान समाज में अपने “मजहब” को प्रचारित करने की खुली छूट—खुली प्रतिस्पर्धा की छूट प्रदान करता हैऔर यदि ऐसा हैतो फिर क्या एक लोकतंत्र में ये अपेक्षित है?

शैलेन्द्र कुमार की ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार एक ऐसे विषय को लेती हैजिसके बारे में बहुधा लोग जानते तो हैंकिन्तु उन्हें ये ध्यान नहीं आता कि पूर्वोत्तर भारत में ईसावाद ने कैसे अपने पैर पसारे और वहाँ की संस्कृति को नष्ट कर दिया। 

978-1942426998 ; Garuda Prakashan ;  Author : Shailendra Kumar ; Pages  :283 ; Paperback

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार : Isavaad aur Purvottar Bharat Ka Sanskritik Sanhar”

Select at least 2 products
to compare