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आदि देव आर्य देवता Aadi Dev Arya Devata

इस अध्ययन में प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों की खोजों को मिलाकर संयुक्त रूप से यह बताने का प्रयास किया है कि जनजातीय समाज हिंदू सभ्यता की कुंजी और आधार है।

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Description

पुस्तक परिचय : 

ग्रेजी राज में अध्ययन की ऐसी शैली का सूत्रपात हुआ, जिसमें भारत की आदिवासी या जनजातीय जनसंख्या को आदिम सामाजिक समूहों के रूप में दिखाया गया, जो हिंदू समाज की मुख्यधारा से भिन्न और परे थी। अध्ययनकर्ता इस संस्थापित रूढि़वादिता पर संदेह कर रहे हैं, क्योंकि आध्यात्मिक-सांस्कृतिक परिदृश्य की सरसरी दृष्टि भी अत्यंत प्राचीन काल से जनजातियों और गैर-जनजातियों के बीच गहरे संबंधों की ओर इशारा करती है। दोनों समूह, जिन्हें एक-दूसरे से एकदम भिन्न बताया गया है, के बीच सक्रिय प्रभाव इस धारणा को चुनौती देता है। इसके अनुसार जनजातियाँ सुदूर जंगलों या पर्वत शृंखलाओं में रहती हैं।

जनजातियों और तथाकतिथ ‘उच्च’ जातियों ने भारत की देशीय परंपराओं का समान रूप से सम्मान किया है और उसे सहेजा है, हालाँकि उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दाय के प्रति जनजातीय योगदान मुख्यतः अमान्य है।
इस अध्ययन में प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों की खोजों को मिलाकर संयुक्त रूप से यह बताने का प्रयास किया है कि जनजातीय समाज हिंदू सभ्यता की कुंजी और आधार है।

ISBN :9789352668731 ; Pages : 240 ; Hardcover ;

अनुक्रम

प्रस्तावना : आम जनजातीय धारणा 

1. आदि संस्कृति, सनातन धर्म

2. जाति और जनजाति : एक औपनिवेशिक अवधारणा

3. जनजातीय राज्य का निर्माण और धर्म का विकास

4. महाभारत की जनजातियाँ

5. जगन्नाथ : श्रेष्ठ जनजातीय देवता

6. खांडोबा : दक्कन में एक जनजातीय देवता

7. मुरूगन और गणेश : शिव के पुत्र

8. नाग और देवी

9. गोबर गणेश और गौ जनजातियाँ

10. जनजातियाँ : हिंदू निरंतरता

Author

Sandhya Jain

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