ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार : Isavaad aur Purvottar Bharat Ka Sanskritik Sanhar
ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार : Isavaad aur Purvottar Bharat Ka Sanskritik Sanhar
प्राकृतिक सुषमा से परिपूरित पूर्वोत्तर के लोग अनंतकाल से अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक मान्यताओं के साथ तुष्ट जीवन जीते आ रहे थे। परंतु लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अंग्रेजी सरकार के षड्यंत्र से ईसावादियों का इस प्रशांत क्षेत्र पर आक्रमण हुआ, जिसने वहाँ की सभ्यता व संस्कृति का निर्ममतापूर्वक संहार किया। आज वहाँ के लोग कहीं के नहीं हैं। न तो वे अपने रहे और न भारत के। ईसावादियों ने योजनाबद्ध पद्धति से उन्हें शेष भारत से काट कर भारत विरोधी बना दिया। वैश्विक संस्कृति संहारक ईसावाद का यह वास्तविक रूप है, जिसका दंश सरल हृदय पूर्वोत्तरवासियों ने झेला है। यदि इस पापाचार को रोका न गया, तो समस्त भारतवर्ष का सांस्कृतिक विनाश हो जाएगा। इस पूरे विनाशकारी दौर का आरम्भ कब और कैसे हुआ ? पूर्वोत्तर के समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ा? यह पुस्तक इन सभी आयामों पर शोध-परक प्रकाश डालती है