मनुस्मृति Manusmriti
मनुस्मृति Manusmriti
मनुष्य ने जब समाज व राष्ट्र्र के अस्तित्व तथा महत्त्व कौ मान्यता दी, तो उसके कर्तव्यों और अधिकारों की व्याख्या निर्धारित करने तथा नियमों के अतिक्रमण करने पर दण्ड व्यवस्था करने की भी आवश्यकता उत्पन्न हुई । यही कारण है कि विभिन्न युगों में विभिन्न स्मृतियों की रचना हुई, जिनमें मनुस्मृति को विशेष महत्व प्राप्त है । मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हज़ार पांच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित्त आदि अनेक विषयों का उल्लेख है।
बृहद अनुवाद चंद्रिका Brihad Anuvaad Chandrika
बृहद अनुवाद चंद्रिका Brihad Anuvaad Chandrika
भारतीय संस्कृति का स्रोत एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की जननी, संस्कृति भाषा का अध्ययन उसके नियमबद्ध व्याकरण की दुरुहता के कारण कठिन हो गया है। तथापि इस तथ्य को तो सभी देश-विदेशी भाषा-विशारदों ने माना है कि संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त वैज्ञानिक एवं सुव्यवस्थित है। निःसन्देह उसके प्राचीन ढंग के अध्ययन तथा अध्यापन से आजकल के सुकुमार बालकों का अपेक्षित बुद्धिविकास नहीं होता और न उन्हें वह रूचिकर ही प्रतीत होता है। इसी कठिनाई को ध्यान में रखते हुए संस्कृत भाषा के अध्ययन एवं अध्यापन को आजकल के वातावरण के अनुकूल सरल तथा सुबोध बनाने का प्रयत्न किया है !
भारतीय व्यवहार कोश : सोलह भाषाओं का शब्दकोश – Bharatiya Vyavahaar kosh
भारतीय व्यवहार कोश : सोलह भाषाओं का शब्दकोश – Bharatiya Vyavahaar kosh
भाषाज्ञान से ही भारत की एकात्मता का साक्षात्कार हम कर लें। इस सिद्धि को पाते ही दूसरों की भाषा के प्रति विद्वेष की भावना मन में पैदा तक नहीं होगी और भाषिक सहिष्णुता के पथपर हम अतिवेग से अग्रसर होंगे! भारत की भाषाओं का परिचय हमें सुलभता से हो और अन्यान्य प्रान्तों में जाने के बाद सर्व क्षेत्रों में हम अपना व्यवहार आसानी से निभा सकें, एतदर्थ भारतीय व्यवहार कोश का निर्माण कर के अन्य भाषाओं को व्यावहारिक स्तर पर जानने की पहली सीढ़ी तैयार करने का प्रयास हम ने किया है।