Maharshi Dayanand Saraswati: Reawakening of Arsha Bharat in Amrit Kaal
Maharshi Dayanand Saraswati: Reawakening of Arsha Bharat in Amrit Kaal
The book Maharshi Dayanand Saraswati — Reawakening Arsha Bharat in Amrit Kaal edited by J Nandakumar features articles by Shri Dattatreya Hosabale, Dr Satya Pal Singh, Ratan Sharda, Acharyasri Rajesh, Dr Anandaraj G, Prof Pawan Kumar Sharma and Rajendra Chaddha.
संघ और स्वराज – Sangh Aur Swaraj
संघ और स्वराज – Sangh Aur Swaraj
यह पुस्तक हमें बताती है कि संघ अपने जन्म से ही स्वराज के प्रति समर्पित था। डॉ. हेडगेवार का जीवन और वह शपथ, जो स्वयंसेवक लेते थे, स्वतंत्रता संग्राम के प्रति समर्पण को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं। इस स्वतंत्रता को स्वराज में बदलने के लिए भारत को अनुशासित और साहस रखनेवाले युवाओं की आवश्यकता थी, जो राष्ट्र के प्रति समर्पित हों। ब्रिटिश दस्तावेज स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि वे स्वतंत्रता संग्राम में संघ की बढ़ती ताकत को लेकर सतर्क थे।
जंगल सत्याग्रह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ Jungle Satyagraha aur RSS
स्वतंत्रता कब और कैसे मिलेगी यह प्रश्न जब सर्वत्र पूछा जा रहा हो तब ‘हम पराधीन क्यों हुए और हमारी स्वतंत्रता अक्षुण्ण कैसे रहे’ इस प्रश्न का न केवल मूलभूत चिंतन, अपितु इसके उत्तर हेतु भी डा. हेडगेवार जी ने प्रयास आरंभ कर दिए थे। डा. हेडगेवार ने हमेशा ‘नैमित्तिक’ आंदोलनात्मक कार्य तथा राष्ट्र निर्माण के ‘नित्य’ कार्य को महत्व दिया। इस प्रकार के आंदोलन करने की आवश्यकता ही न पड़े ऐसी परिस्थिति निर्माण करना ही वास्तव में डाक्टरजी का दीर्घकालिक उद्देश्य था।
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध Hyderabad nishastra pratirodh
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध Hyderabad nishastra pratirodh
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध : आर एस एस , आर्य समाज, हिन्दू महासभा का योगदान
सन् 1938 में स्थिति और भी भयावह हो गई। हिंदुओं के लिए शिकायतें दर्ज कराने के मार्ग भी बंद कर दिए गए। अन्यायी निजाम राजशाही के विरुद्ध निःशस्त्र प्रतिरोध करने के अतिरिक्त हिंदुओं के समक्ष कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था।
इस चुनौती का सामना करने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक , आर्य समाज, हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने अप्रतिम साहस का परिचय दिया । परंतु इस संघर्ष के विषय में बहुत कम समाचार मुद्रित हुई है। डॉ श्रीरंग गोडबोले ने अभिलेखागारों तथा अन्य सामग्री के आधार पर इस शोध पुस्तक की रचना की है ।