हिन्दू ईशॉप अद्यतन : अश्विन् मास
- October 9, 2022
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Hindu eShop Updates
आदि कवि महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं ( आश्विन पूर्णिमा )
हिन्दू ईशॉप पर नए पुस्तकें
सपना जो पूरा हुआ
डॉ. वर्गीज कुरियन ने अपने जीवन की कथा को इन संस्मरणों में स्वाभाविक निष्पक्षता और बेबाकी से प्रस्तुत किया है। यह आत्मकथात्मक कृति जीवन के संघर्षों, विषम परिस्थितियों एवं कठिन अवसरों पर धैर्य, साहस और निर्भीकता के महत्त्व को रेखांकित करने के साथ ही प्रेरणा भी देती है। इसे पढ़कर डॉ. कुरियन के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं उनके जीवन की रोमांचकारी गाथा को पढ़ने, समझने और गुनने का अवसर मिलेगा।
पंच यज्ञ से परम वैभव

श्रीमद वाल्मीकि रामायण (सटीक)
Srimad Valmiki Ramayana (Satik) श्रीमद वाल्मीकि रामायण (सटीक) – प्रथम & द्वतीय खण्ड, Part -1 & 2
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होने से इस में भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पों की दिव्य सुगन्ध है।
संवर्धिनी
भारत का जीवन के हर पहलु के प्रति एक प्राचीन, सुविचारित, परिपूर्ण चिंतन है । उसको लेकर हर चीज की तरफ देखने की भारत की एक विशिष्ट दृष्टि विकसित हुई है। यह दृष्टि नहीं रही तो भारत केवल नाम का भारत रहेगा। इसलिए हर समस्या, हर विषय के बारे में इस भारतीय दृष्टिकोण का दिखना, प्रस्फुटित होना, प्रकट होना बहुत आवश्यक है। महिला चिन्तन के बारे में भारतीय दृष्टिकोण क्या-क्या हो सकता है, क्या है इसके बारे में हम कल शाम तक चिंतन-विमर्श करने वाले हैं। इसमें आप सब का सक्रिय सहभाग हो ऐसी अपेक्षा है।
भारतीय मुसलमानों के हिन्दू पूर्वज
भारत की राजनीति मुस्लिम साम्प्रदायिकता के जहर से ओतप्रोत दिख रही है। भारतीय मूल के मुसलमान भी इससे कम भ्रमित नहीं हैं। भारतीय मुसलमानों के पूर्वज इस्लाम धर्म स्वीकार करने के पूर्व हिन्दू ही थे। इनके पुरखे हिन्दू धर्म में अगाध निष्ठा रखते थे। इनकी रगों में हिन्दू संस्कृति का ही रक्त प्रवाहित है। यह आवश्यक है कि भारतवासी यह जाने कि भारतीय मुसलमानों के पूर्वज जो हिन्दू थे वे किन परिस्थितियों में मुसलमान हुये, तभी उनके मुसलमान होने के कारण का उन्हें पता चल सकेगा और वर्तमान में उन्हें भारत और भारतीयता के सम्बन्ध में निर्णय लेने में सहूलियत होगी।
जम्मू-कश्मीर – सच तो यही है
जम्मू-कश्मीर – सच तो यही है (अनुच्छेद 35 ए – सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियां) उन लाखों शोषितों की कहानी पर आधारित है, जो स्वतंत्र भारत के पिछले 71 वर्षों में सभी अधिकारों से वंचित रहे हैं और गुलामों की तरह जीने को मजबूर है |
“जम्मू-कश्मीर – सच तो यही है” की कहानियाँ विभिन्न समुदायों के लोगों की सच्ची जीवन की घटनाओं पर आधारित हैं और इसलिए, पात्रों और उनकी दुर्दशा को जीवंत और वास्तविक महसूस करते हैं। लेखिका ने स्वयं जम्मू-कश्मीर को अक्सर देखा और इन समुदायों के लोगों के साथ निरंतर संबंध बनाए।