స్వదేశీ సమాజం Swadeshi Samajam
వైవిధ్యంలో ఐక్యత, అనేకత్వంలో సమన్వయం సాధించడమే అంతఃసూత్రం, అదే భారతదేశ ప్రాచీన సనాతన ధర్మం. భారతదేశంలో భేదాలు ఎప్పుడూ యుద్ధాలకు కలహాలకు …
स्वदेशी समाज Swadeshi Samaaj
– आज से 120 वर्ष पूर्व जब भारत में शासन व्यवस्था, समाज व्यवस्था के आपसी संबंध एवं उत्तरदायित्व इतने स्पष्ट थे तो स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद हम अपनी ही व्यवस्थाओं को अपनाने की अपेक्षा विदेशी व्यवस्था के साथ आगे क्यों बढ़े?
– जब भारत के गाँव बौद्धिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक रूप से इतने सशत्तफ़ एवं आत्मनिर्भर थे, तब हमने विदेशी, शहरीकरण-मॉडल को अपना कर आगे बढ़ने का निश्चय क्यों किया?
– भारत का मूल विचार, जिसको अनेक महापुरुषों सहित गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने लिपिबद्ध किया, उस विचार को आज आधारहीन, संकीर्ण एवं सांप्रदायिक जैसी संज्ञाएँ कौन लोग दे रहे हैं?
– आर्यों के संबंध में गढ़ी गई कहानियों की वास्तविकता, जिनकी स्पष्टता डॉ- मनमोहन वैद्य ने प्रस्तावना में की है, से भारत को कितना नुकसान हुआ?