वैदिक राष्ट्र रिचाये Vaidik rashtra richaye

65.00

1 in stock

Compare

Description

पाश्चात्य विद्वान् प्रचार करते आए हैं कि प्राचीन आर्य राष्ट्रीयता की अवधारणा से अवगत न थे, जबकि सचाई यह है कि राष्ट्र राज्य की कल्पना वेदों से ली गई है। जिसमें मातृभूमि मातृसंस्कृति और मातृभाषा का राष्ट्र-निर्माण के लिए आवाहन किया गया है। इतना ही नहीं एक विश्व परिवार या एक विश्व संसद की अवधारणा का मूल स्रोत ऋग्वेद का दसवें मंडल का अन्तिम सूक्त है। अतः वेदों में मातृभूमि, स्वराज्य, राज्य-व्यवस्था, राष्ट्र-निर्माण. राष्ट्र-संगठन, राष्ट्ररक्षा, सैनिक शक्ति, युद्ध आदि विषयों पर अनेकों मन्त्र हैं, जो आज भी हमारे प्रेरणा-स्रोत हैं।भारतीयों ने राष्ट्र के विषय में वेदों से सदैव प्रेरणा ली है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “वैदिक राष्ट्र रिचाये Vaidik rashtra richaye”

Select at least 2 products
to compare