Description
प्रत्येक भारतीय को यह देश प्राणों से प्यारा है। क्योंकि इसका कण-कण पवित्र है। इस भूमि पर पग-पग में उत्सर्ग और शौर्य का इतिहास अंकित है। श्री गुरुजी गोलवलकर उसकी साक्षात् जगज्जननी के रूप में उपासना करते थे। स्वामी विवेकानन्द ने श्रीपाद शिला पर इसका जगन्माता के रूप में साक्षात्कार किया। वह भारत माता हमारी आराध्या है। उसके स्वरूप का वर्णन वाणी व लेखनी द्वारा असंभव है, फिर भी माता के पुत्र के नाते उसके भव्य-दिव्य स्वरूप का अधिकाधिक ज्ञान हमें प्राप्त करना चाहिए।
कैलास से कन्याकुमारी, अटक से कटक तक विस्तृत इस महान् भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों व धार्मिक स्थानों का वर्णन यहाँ दिया जा रहा है ।
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