हिन्दू ईशॉप अद्यतन : मार्गशीर्ष मास
- December 6, 2022
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Hindu eShop Updates
शौर्य दिवस की शुभकामनाएं
हिन्दू ईशॉप पर नए पुस्तकें
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध
ये पुस्तक Dec ११ , २०२२ को पुस्तक विमोचन होगा ।
हैदराबाद निःशस्त्र प्रतिरोध : आर एस एस , आर्य समाज, हिन्दू महासभा का योगदान
सन् 1938 में स्थिति और भी भयावह हो गई। हिंदुओं के लिए शिकायतें दर्ज कराने के मार्ग भी बंद कर दिए गए। अन्यायी निजाम राजशाही के विरुद्ध निःशस्त्र प्रतिरोध करने के अतिरिक्त हिंदुओं के समक्ष कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था।
इस चुनौती का सामना करने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक , आर्य समाज, हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं ने अप्रतिम साहस का परिचय दिया । परंतु इस संघर्ष के विषय में बहुत कम समाचार मुद्रित हुई है। डॉ श्रीरंग गोडबोले ने अभिलेखागारों तथा अन्य सामग्री के आधार पर इस शोध पुस्तक की रचना की है ।
महाभारत का अनावरण
ये पुस्तक दिसम्बर २०२२ के अंतिम सप्ताह से उपलब्ध होगी । अभी ऑर्डर करने पर २०% छूट प्राप्त कर सकते हैं । Expected release last week of December. Pre-Order @ 20% discount today.
ये पुस्तक Mahabharat Unravelled का हिन्दी अनुवाद है । महाभारत से जुड़े अनेक भ्रांतियों को ये पुस्तक दूर करती है। साथ ही अनेक रोचक विषय प्रस्तुत करती है।
उदाहरण : क्या द्रौपदी जी ने दुर्योधन का उपहास किया था ? क्या द्रोणाचार्य ने कर्ण को अपना शिष्य मानने से अस्वीकार किया ? युद्ध के बाद क्या हुआ ? आदि
आप के लिए कुछ पुस्तकें
जय भीम वन्देमातरम
Pre-Order discount 20% ; Release program Aug 30th, 2022.
इस पुस्तक में इन विषयों पर प्रकाश डाला गया है :
1. “जय भीम-जय मीम” (दलित-मुस्लिम एकता) और “जय भीम-लाल सलाम” (दलित वामपंथ) के नारों से दलित बहुजन समुदायों को कैसे धोखा दिया गया और दिया जा रहा है ?
2. कैसे वामपंथ की जड़ों में ही भेदभाव है ।
3. वामपंथ डॉ. अंबेडकर का और अंबेडकरवाद का कैसे विरोध करता है ?
4. वामपंथ और इस्लाम पर डॉ. अंबेडकर का क्या कहना था ?
5. ईसाई धर्म कैसे अस्पृश्यता का समर्थन करता है ?
6. समरस समाज या समाज में समरसता क्या है ?
7. भारतीय समाज के लिए ”जय भीम वन्दे मातरम्” से हमारा क्या अर्थ है ?
श्री बालासाहेब देवरस
About : Translated into Hindi from the Marathi original
बालासाहब देवरसजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे सरसंघचालक थे। उनका जीवन अत्यंत सरल था तथा वे मिलनसार प्रवृत्ति के थे, परंतु प्रसिद्धि से कोसों दूर रहने के साथ-साथ वे कुशल संगठक और दूरदृष्टा थे।
पुणे में चलनेवाली बसंत व्याख्यानमाला में हुए बालासाहबजी के ऐतिहासिक भाषण ने इस बात को प्रमाणित किया कि वे सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे। उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था, ‘‘यदि छुआछूत पाप नहीं है तो इस संसार में कुछ भी पाप नहीं है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर शासन द्वारा लगाए गए तीनों प्रतिबंधों (वर्ष 1948, 1975 और 1992) के बालासाहबजी साक्षी रहे थे। उनके कार्यकाल में ही देश के अंदर कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटित हुईं—ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ, पंजाब की समस्या, आरक्षण विवाद, शाहबानो प्रकरण, अयोध्या आंदोलन चला इत्यादि।
ऐतिहासिक पुरुष बालासाहब देवरसजी के प्रेरणाप्रद जीवन का दिग्दर्शन कराती पठनीय पुस्तक।
ईसाइयत सिद्धांत एवं स्वरुप
“ईसाइयत” यह शब्द ईसा मसीह और उसके प्रेरितों या मूलशिष्यों द्वारा प्रतिपादित विचार, बाद के शतकों में किया गया उनका विस्तार, ईसाई गुणविशेष एवं ईसाई जगत को दर्शाता है। ईसाइयत का पवित्र ग्रंथ और सैद्धान्तिक आधार ‘बाइबिल’ होने के कारण पुस्तक में उसका सविस्तार विवरण है। ईसाइयत के मौलिक सिद्धान्त एवं कार्यप्रणाली उसकी पहली सहस्राब्दी में निश्चित हुए। इसलिए ईसाइयत की पहली सहस्राब्दी का अलग विचार किया है। विश्वभर की ईसाइयत एक-सी नहीं है। वह सैंकड़ों संप्रदायों में विभाजित है। हर ईसाई संप्रदाय के अपने सिद्धान्त और कार्यशैली हैं। इस पुस्तक में ईसाइयत का संप्रदाय: विचार विश्व एवं भारत के परिप्रेक्ष्य में किया है। ऑर्थोडॉक्स चर्च; लूथरन, प्रेस्बिटेरियन, एंग्लिकन, बैप्टिस्ट, मेथडिस्ट, एडवेंटिस्ट एवं पेंटेकॉस्टल जैसे प्रोटेस्टेंट चर्च तथा रोमी कैथोलिक चर्च का विचार किया है। इन सभी संप्रदायों के मूलभूत सिद्धान्त, इतिहास, अंतर्गत प्रवाह, संगठनात्मक ढाँचा, नीतियाँ, वर्तमान फैलाव एवं सांख्यिकी का इस पुस्तक में विवरण है। आधिकारिक एवं अकाट्य स्रोतों का उपयोग, संदर्भित एवं अद्यतन जानकारी, तालिकाओं एवं आकृतियों का उपयोग जैसी विशेषताओं के कारण इस पुस्तक का संदर्भ-मूल्य है। यह पुस्तक लेखक के 40 वर्षों के ईसाइयत संबंधी अध्ययन की परिणति है।
पाञ्चजन्य : राम जन्मभूमि संग्रह विशेषांक : ‘शौर्य दिवस – छह दिसंबर ‘
राममंदिर के निर्माण की प्रक्रिया संस्कार राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम है। के ये यह महोत्सव है- विश्वास को विद्यमान से जोडने का, नर को से आज ये नारायण से जोड़ने का; लोक को आस्था से जोड़ने का वर्तमान को अतीत से जोड़ने का और स्व को संस्कार से जोडने का। ये ऐतिहासिक पल युगों-युगों तक, दिग- दिगन्त तक भारत की कीर्ति पताका फहराते रहेंगे |
पाञ्चजन्य के राम जन्मभूमि संग्रह विशेषांक |