हिन्दू ईशॉप अद्यतन : कार्तिक मास
- November 7, 2022
- 0 Comment(s)
Hindu eShop Updates
कार्तिक पूर्णिमा , श्री गुरु नानक देवजी जयंती की शुभकामनाएं
हिन्दू ईशॉप पर नए पुस्तकें
आर्यों का आदिदेश भारत
इस पुस्तक में आर्य समस्या के लगभग सभी संबंधित पहलुओं को शामिल किया गया है जैसे कि भारत पर आर्यों का आक्रमण, और उसका विकल्प, भारत में आर्यों का प्रवास। यह पुस्तक बताती है कि ये सभी सिद्धांत मौलिक रूप से गलत हैं। इसके अनुसार आर्य भारत के मूल निवासी थे। वास्तव में, ऋग्वैदिक लोग 2000 ईसा पूर्व के आसपास पष्चिम एशिया में चले गए जहां तुर्की में बोगाज़कोई में मिट्टी की तख्तियां मिली हैं। इन तख्तियों में हित्तियों और मित्तनी के बीच एक संधि दर्ज है जिसमें इंद्र, वरुण, आदि जैसे देवताओं को गवाह के रूप में वर्णित किया गया है।एक उत्कृश्ट मानचित्र के साथ, प्रो लाल ने प्रदर्शित किया कि ऋग्वेद और हड़प्पा सभ्यता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
बिरसा मुंडा : भारत माता का वीर पुत्र
बिरसा मुंडा – उन्होंने अपने समुदाय और उसके लोगों की ज़िंदगियों की रक्षा के लिए वनवासियों की लड़ाई का नेतृत्व करने का फ़ैसला किया। शेर दिल योद्धा, कल्याणकर्ता, आध्यात्मिक मार्गदर्शक और एक भुला दिया गया नायक। सच्ची घटनाओं पर आधारित, साहस की यह वीर गाथा बिरसा मुंडा के जीवन को एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने अत्यंत संक्षिप्त जीवन में वनवासियों समुदाय को संगठित किया और ज़बरन धर्मांतरण के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। उन्होंने भेदभाव रहित और अधिक न्यायपूर्ण समाज की कल्पना की और इसके लिए लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी। यह पुस्तक एक वनवासी नायक की रोमांचकारी कहानी है जिसका इतिहास की ज़्यादातर किताबें उल्लेख नहीं करतीं। स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
आप के लिए कुछ पुस्तकें
श्री गुरु नानक देवजी जयंती की शुभकामनाएं
श्री गुरु नानक देवजी
प्रस्तुत पुस्तक में दशगुरु परंपरा के प्रथम गुरु श्री नानक देवजी के बहुपक्षीय व्यक्तित्व का सारगर्भित अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। नानक देवजी की कर्मसाधना, भक्तिसाधना और ज्ञानसाधना का फलक अत्यंत विशाल है। नानक को जानने के लिए, नानक को अपने भीतर अनुभव करना होगा। उन वीरान बियावानों की मानसिक यात्रा करनी होगी जिनकी नानक देवजी ने यथार्थ में यात्रा की थी। सुदूर दक्षिण में धनुषकोटि के किनारे विशाल सागर की उत्ताल लहरों को देखते हुए, उनमें श्रीलंका को जा रहे नानक देव की छवि को अपने मुँदे नेत्रों से देखना होगा। नानक को जानने का यही अमर नानक-मार्ग है। इस पुस्तक में लेखक ने यही करने का प्रयास किया है। पुस्तक की उपादेयता विविध प्रसंगों की नवीन युगानुकूल व्याख्या में है|
संकेत रेखा
रचयिता : श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी , सम्पादक : भानुप्रताप शुक्ल
श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों मे विषयों पर व्यक्त किए गए प्रभावशाली भाषणों का संकलन है
श्री ठेंगड़ी अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी तथा मराठी में अनेक पुस्तकें लिखीं। इनमें लक्ष्य और कार्य, एकात्म मानवदर्शन, ध्येयपथ, बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर, सप्तक्रम, हमारा अधिष्ठान, राष्ट्रीय श्रम दिवस, कम्युनिज्म अपनी ही कसौटी पर, संकेत रेखा, राष्ट्र, थर्ड वे आदि प्रमुख हैं।
श्री ठेंगड़ी 1951 से 1953 तक मध्य प्रदेश में ‘भारतीय जनसंघ’ के संगठन मन्त्री रहे; पर मजदूर क्षेत्र में आने के बाद उन्होंने राजनीति छोड़ दी। 1964 से 1976 तक दो बार वे राज्यसभा के सदस्य रहे। उन्होंने विश्व के अनेक देशों का प्रवास किया। वे हर स्थान पर मजदूर आन्दोलन के साथ-साथ वहाँ की सामाजिक स्थिति का अध्ययन भी करते थे। इसी कारण चीन और रूस जैसे कम्युनिस्ट देश भी उनसे श्रमिक समस्याओं पर परामर्श करते थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, स्वदेशी जागरण म॰च, भारतीय किसान संघ, सामाजिक समरसता मंच आदि की स्थापना में भी उनकी प्रमुख भूमिका रही।
हमारा संविधान एक परिचय
भारत का संविधान प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए संविधान का पालन करने और उसके आदर्शों, संस्थाओं और राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रीय गान का सम्मान करने को प्रत्येक नागरिक का पहला और सर्वोच्च मौलिक कर्तव्य बनाता है। ऐसा करने के लिए सबसे पहले हमें अपने संविधान से यह जानना ज़रूरी है कि हम किस प्रकार शासित होते हैं, एक नागरिक के रूप में हमारे लोकतांत्रिक अधिकार व कर्तव्य क्या हैं, आदि। हमारे विद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षकों व विद्यार्थियों के बीच एक लक्ष्य होना चाहिए कि अंतर्गत वे अपने संविधान में रुचि लेते हुए उसके बारे में अधिक से अधिक जानें।
यह पुस्तिका बहुत ही सरल और सहज भाषा में, विश्व के सबसे बड़े संविधान और उसकी कार्यप्रणाली को बहुत ही संक्षिप्त रूप में समझाने का प्रयास है। साथ ही, यह संविधान से जुड़ी बहुत सी प्रचलित भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास भी करती है।
विश्व सभ्यताओं का जनक : भारत
इस पुस्तक में आर्यावर्त में ही सृष्टि के प्रथम में मनुष्य उत्पत्ति, वेद ज्ञान का प्रकाश, वैवस्वत मन्वन्तर में मनुष्य सृष्टि का विस्तार, वैदिक ग्रन्थों में वर्ण व्यवस्था वास्तविक स्वरूप भी स्पष्ट करने की कोशिश की है, ताकि मुख्य विषय को ठीक प्रकार से समझा जा सके व भ्रान्त धारणाओं का खंडन हो सके। इस पुस्तक के माध्यम से आर्य, द्रविड अथवा विदेशी और मूल आर्य निवासी की निराधार भ्रान्त धारणाओं का जो कुछ लोग अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए व देश को पुनः विभाजित करने के लिए प्रचार कर रहे हैं उनका भी पूर्णतया खंडन होगा।