Description
About the book :
यदि भारत अपनी स्वाधीनता के 75वें वर्ष की ओर देखता है तो वह देश के विभाजन के 75वें वर्ष की ओर भी देखता है। यह संभवत: बीसवीं शताब्दी की विकटतम मानव त्रासदी थी, जिसने बड़े पैमाने पर अभूतपूर्व हिंसा देखी; और इस हिंसा की प्रणेता वे इच्छुक पार्टियाँ थीं, जिन्होंने अपने राजनीतिक एवं विचारधारात्मक कारणों से उसे भड़काया था। विभाजन की ओर प्रवृत्त करनेवाले वास्तविक कारणों का विश्लेषण करें तो उसका पाठ भारत की एकता एवं अखंडता में निहित है, जिसका प्रमाण वीर सावरकर द्वारा विभाजन को रोकने के लिए किए गए अथक प्रयासों में मिलता है। तार्किक रूप से भारत की राष्ट्रीय अखंडता के महानतम प्रतीक सावरकर को ओर से भारत की सुरक्षा के प्रति जो चेतावनियाँ दी गई थीं, वे विगत सात दशकों में सत्य सिद्ध हुई हैं।
“वीर सावरकर” पुस्तक सावरकर जैसे तपोनिष्ठ चिंतक एवं भारत की सुरक्षा के जनक के उस पक्ष को प्रस्तुत करती है, जिससे भारत के विभाजन को रोका जा सकता था।
इस पुस्तक में देश एवं उसकी नई पीढ़ी के समक्ष भारत विभाजन, जोकि तुष्टीकरण की राजनीति के कारण हुआ था, को सत्य कथा को प्रस्तुत करने एवं इतिहास को परिवर्तित करने की उर्वरा है। आज देश को एकजुट बनाए रखने के लिए सावरकरवादी दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है।
ISBN : 978-9355213501 ; Prabhat Prakashan ; Paperback ; Pages ; 360 ;
About the Author :
उदय माहुरकर भारत सरकार के केंद्रीय सूचना आयुक्त हैं| वह इंडिया टुडे ‘ पत्रिका के वरिष्ठ उप-संपादक रहे; उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन पर दो पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें सावरकर के राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण पर अभिनव वर्णन के विकास का श्रेय प्राप्त है। उनके पास यह सिद्ध करने के अकाट्य प्रमाण हैं कि सावरकर का हिंदुत्व अनिवार्यतः एक विशुद्ध राष्ट्रवाद है, जो ‘राष्ट्र प्रथम’ की सच्ची भावना पर आधारित है। उनका दूढ़ मत है कि सावरकर युग का आगमन हो चुका है।
चिरायु पंडित महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा में सिविल इंजीनियरिंग व्याख्याता तथा इस विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ लीडरशिप ऐंड गवर्नेंस के संस्थापक समन्वयक हैं। वह राष्ट्रवादी विषयों पर एक कर्मठ अनुसंधानकर्ता हैं और सावरकर से संबंधित विषयों पर उनकी जबरदस्त पकड़ है।
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