इस्लाम का अंतर-दर्शन
- May 28, 2021
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▪ पुस्तक परिचय
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▪ शीर्षक : इस्लाम का अंतर-दर्शन
▪ लेखक : डॉ. श्रीरंग गोडबोले
▪ संस्करण: प्रथम 2014 ई.
▪ पृष्ठ संख्या: 256
▪ प्रकाशक : अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान, जयपुर
▪ प्रस्तुति: राजेश आर्य
▪ लेखक परिचय
पूणे स्थित डॉ. श्रीरंग गोडबोले एलोपैथी के प्रसिद्ध चिकित्सक तथा मधुमेह एवं हॉर्मोन-व्याधि विशेषज्ञ है। मधुमेह संबंधी दो पुस्तक तथा विविध समसामयिक सामाजिक विषयों पर प्रासंगिक लेखन के उपरान्त, डॉ. गोडबोले जी ने इस्लाम और ईसाइयत की मजहबी बारिकियों तथा इतिहास का गहन अध्ययन कर ‘जिहाद’, ‘धार्मिक जनसांख्यिकी’, ‘बौद्ध-मुस्लिम संबंध’, ‘स्वा. सावरकर की शौर्यगाथा’, ‘ईसाइयत: सिद्धान्त एवं स्वरूप’, ‘शुद्धि आन्दोलन का संक्षिप्त इतिहास’ आदि विषयों पर शोधपूर्ण ग्रंथ लिखे है। स्वयं लेखक की स्वीकारोक्ति के अनुसार, स्व. श्री सीताराम गोयल के मूलगामी चिंतन, तर्कशुद्ध शैली, सशक्त भाषा तथा श्री सीताराम जी के सहयोगी स्व. श्री राम स्वरूप जी के मूलभूत चिंतन और धीर गंभीर लेखन-शैली ने उनको ईसाइयत एवं इस्लाम को देखने की स्पष्ट दृष्टि दी। इस्लाम का अध्ययन करने तथा उसके बारे में कुछ लिखने की प्रेरणा लेखक को इन दो बौद्धिक योद्धाओं से ही मिली।
▪ पुस्तक परिचय
इस देश में हिन्दू-मुस्लिम बहुत लंबे समय से – लगभग 1300 वर्षों से – साथ रहते हुए भी इस्लाम की मजहबी बारिकियों, उसके इतिहास तथा उसके इरादों के बारे में हिन्दू समाज में घोर अज्ञान व्याप्त है। पश्चिमी देशों में इस्लाम का अध्ययन करने, उसके विभिन्न पहलूओं पर लिखने की बड़ी परम्परा है, किन्तु हमारे यहाँ कुछ अपवादों को छोड़कर इस दिशा में शोधकार्य और लेखन का प्रायःअभाव रहा है। विशेषतः हिन्दी और प्रादेशिक भाषाओं में इस्लाम के बारे में समीक्षात्मक ग्रंथों की भारी कमी है।
मुस्लिमों के व्यवहार के लिए इस्लामी दर्शन जिम्मेदार है, अत: इस्लाम का अंतरंग समझे बिना गैर-मुस्लिमों को मुस्लिमों के व्यवहार का बोध होना अशक्य है। हिन्दू पाठक को ध्यान में रखकर सत्यान्वेषण के हेतु से इस्लाम की मूल मजहबी तथा इतिहास विषयक किताबों के प्रमाणों के साथ इस्लाम की वस्तुनिष्ठ जानकारी देना ही प्रस्तुत पुस्तक के लेखक का मुख्य उद्देश्य है।
प्रस्तुत पुस्तक मुख्य तीन भाग अंतर्गत 17 अध्यायों में विभाजित है। इस्लाम के मूल आधार – कुरान तथा हदीस – और शरियत की जानकारी “इस्लामी तत्वज्ञान” शीर्षक प्रथम भाग में दी गई है। शिया-सुन्नी, देवबंदी-बरेलवी, वहाबी-अह्ल ए हदीस, सूफी आदि विभिन्न मुस्लिम पंथ-उपपंथों की जानकारी “इस्लाम के पंथ-उपपंथ” शीर्षक दूसरे भाग में दी गई है। “इस्लाम क्या कहता है” शीर्षक तीसरे भाग में स्त्री, शादी, संतति नियमन, काफिर, जिहाद, धिम्मी, वक्फ, धर्मत्याग (अपोस्टसी) आदि विषयों के बारे में रोचक जानकारी विस्तार से दी गई है। विभिन्न विषयों की प्रस्तुति तथा विवेचन में इस्लाम की मजहबी किताबों के प्रमाणों के साथ-साथ कहीं-कहीं इस्लाम के इतिहास के भी हवाले दिए हए है।
आज विश्व में सहिष्णुता तथा सहअस्तित्व के सिद्धान्तों का जितना उल्लंधन हो रहा है उतनी ही उनकी प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में आधुनिक विज्ञान तथा सर्वकालिक भारतीय मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में न केवल अपने धर्म का अध्ययन करने की आवश्यकता है, वरन् अन्य मत-मजहबों व उनके इतिहास को भी ठीक से समझना आवश्यक है। प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से लेखक श्री गोडबोले ने ‘इस्लाम’ को समझने-समझाने का प्रयास सम्पूर्ण शिद्दत के साथ किया है।
प्रस्तुत पुस्तक मूल रूप में मराठी भाषा में ‘इस्लाम चे अंतरंग’ शीर्षक सन् 2005 में लिखी गई थी। इसे अद्यतन करने की दृष्टि से उसके पश्चात हुई कुछ घटनाओं का उल्लेख इस अनुवादित पुस्तक में स्वयं लेखक ने किया है। इस पुस्तक के माध्यम से कुरान, हदीस तथा अन्य प्रामाणिक संदर्भों के आधार पर इस्लाम की सही एवं सच जानकारी पाठकों के सामने रखना ही लेखक का एक मात्र हेतु रहा है। पुस्तक का मराठी से हिन्दी में अनुवाद कानोडिया महिला महाविद्यालय, जयपुर की पूर्व प्राध्यापिका श्रीमती विद्युल्लता बाकरे ने किया है।
▪ प्रस्तुति: राजेश आर्य
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