Description
अभी तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पश्चिमी वैज्ञानिक पश्चिमी देशों को ही विज्ञान का जनक मानते चले आ रहे हैं। अपने ही देश के बौद्धिक संस्थानों और प्रचार माध्यमों ने भारतीय इतिहास को ब्लानि और आत्मनिंदा की दृष्टि से ही देखने की चेष्टा की है। इसी कारण से हमारी वैज्ञानिक परंपरा, वैज्ञानिक दृष्टि और विज्ञान के क्षेत्र में हमारे ज्ञान को नकारने की कोशिश होती रही है। इस नकारात्मक भाव से हमें मुक्त करने में यह पुस्तक सहायक हो सकती है।
Publisher : Archana Prakashan ; Paperback ; Author : Suresh Soni; Pages : 204


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