Description
संजय दीक्षित की यह पुस्तक धर्मों के बीच कई उल्लेखनीय अंतरों को व्यवस्थित, तर्कसंगत, अनुभवात्मक और संक्षिप्त तरीके से समझाती है। उन्होंने इस पुस्तक में बताया है कि विभिन्न धर्म मनुष्य, समाज, ज्ञान, ब्रह्मांड की प्रकृति और जीवन के वास्तविक लक्ष्य को कैसे देखते हैं। यह पुस्तक भावना या राजनीतिक विचार का उत्पाद नहीं है, बल्कि अच्छी तरह से सोची-समझी स्पष्टता और विवेक से उत्पन्न होती है। लेखक किसी भी तरह की बकवास को बढ़ावा नहीं दे रहें हैं, किसी भी धर्म के आगे झुक नहीं रहे हैं, या किसी को नाराज़ न करने के लिए धर्मों के बीच प्रमुख अंतरों को अनदेखा नहीं कर रहे हैं। वह आंतरिक और बाहरी, व्यक्तिगत और सामूहिक, मानवीय और ब्रह्मांडीय स्तरों पर धर्मों के बीच मूलभूत अंतरों को प्रकट करते हैं, बिल्कुल एक वैज्ञानिक प्रवचन की तरह।
वह हिंदू धर्म और सनातन धर्म को अपने आप में प्रस्तुत करते हैं, न कि अनुचित अब्राहमिक अवधारणाओं का उपयोग करके एकेश्वरवादी शब्दावली के अनुसार। वह बताते हैं कि कैसे सनातन धर्म सार्वभौमिक ज्ञान की एक संपूर्ण प्रणाली बनाता है, जिसके लिए सामाजिक, वैज्ञानिक या आध्यात्मिक रूप से मान्य होने के लिए विपरीत धर्मों की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है।”
Publisher : Garuda ; Paperback ; Author : Sanjay Dixit
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