हमारा सांस्कृतिक चिंतन hamara sanskritik chintan

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1947 के स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश को जो नेतृत्व मिला, वह कहीं-न-कहीं पश्चिम के विचारों से प्रभावित रहा, न यहाँ के सांस्कृतिक मूल्य समझ पाए, न यहाँ की परंपराएँ समझ पाए, न यहाँ को संस्कृति को समझ पाए और इसलिए उसके प्रभाव के कारण इस राष्ट्र की आत्मा क्या है, जिसको चिति शब्द प्रयोग किया, चिति को समझ ही नहीं पाए।
आज इस चुनौती को हम देखेंगे तो कई प्रकार के प्रश्न निर्मित हुए हैं। उनका समाधान संस्कारों से होगा, जागरण से होगा। उनका समाधान समाज के अंदर कुछ आदर्श खड़े करके होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में इस प्रकार के आदर्श खड़े करने की दिशा में प्रयत्नशील है। आप लोग इसको समझें और अधिक अध्ययन करें। संघ को निकट से देखने की कोशिश करें।

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